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Sunday, March 30, 2014

पूरे भारत में केवल सात दिनों के लिए कार का प्रयोग बंद कर दें
| केवल आपातकालीन परिस्थिति में
ही प्रयोग करें | फिर देखिये डॉलर कैसे औंधे
मुंह गिरता है | यही सत्य है | डॉलर
का मूल्य पेट्रोल से नियंत्रित होता है जिसे Derivative
Trading (व्युत्पादित व्यापार) कहते हैं |
अमेरिका ने सत्तर वर्ष पहले ही गोल्ड से
डॉलर का मूल्यांकन करना बंद कर दिया था |
क्योंकि अमेरिका समझ चुका था कि पेट्रोल गोल्ड के बराबर
ही मूल्यवान है इसलिए उसने मध्य
पूर्वी देशों के साथ समझौता किया कि वे पेट्रोल
केवल डॉलर्स में ही बेचें |
यही कारण है कि अमेरिकन डॉलर्स में “Legal
Tenders for debt” लिखा होता है | जिसका अर्थ
होता है यदि आप अमेरिकन डॉलर न लेना चाहें और आप
भारत की तरह उसके बदले गोल्ड लेना चाहें
तो वे आपको नहीं देंगे |
आप भारतीय रुपए पर देखिये कि लिखा होगा “I
promise to pay the bearer...” और गवर्नर के
हस्ताक्षर होंगे | जिसका अर्थ है कि आप यदि रुपये न
लेना चाहें और उसके बदले केवल गोल्ड लेना चाहें तो रिजर्व
बैंक आपको गोल्ड में भुगतान करेगा |
आइये इसे एक उदहारण से समझते हैं:
मान लीजिये कि भारतीय पेट्रोल
मंत्री मध्य पूर्वी देश
(अरब ,ईराक )जाते हैं पेट्रोल खरीदने,
वहाँ का व्यापारी कहता है कि एक
लीटर पेट्रोल एक डॉलर का है लेकिन
मंत्री जी के पास डॉलर
नहीं है केवल रूपये हैं | तब क्या करेंगे
मंत्री जी ? तब
मंत्रीजी अमेरिका से कहेगा कि डॉलर
दीजिये | अमेरिकन फेडरल रिज़र्व बैंक एक सफ़ेद
कागज़ लेगा, उसमें डॉलर प्रिंट करेगा और भारतीय
मंत्री को दे देगा | इस तरह हम डॉलर लेते हैं,
पेट्रोल विक्रेता को देते हैं और पेट्रोल लेकर आते हैं |
लेकिन यहाँ भी एक धोखाधड़ी है |
यदि आप अपना विचार बदल लें और डॉलर को वापस
लौटाना चाहें तो हम उसके बदले हम उनसे गोल्ड
नहीं माँग सकते | वे कहेंगे “क्या हमने बदले
में कुछ वापस करने का वचन दिया था ? क्या आपने डॉलर
को देखा नहीं ? हमने स्पष्ट शब्दों में लिखा है
Dollar that is Debt.”
तो अमेरिका को डॉलर प्रिंट करने के लिए गोल्ड
की आवश्यकता नहीं है | उन्हें
केवल सफ़ेद कागज़ चाहिए डॉलर प्रिंट करने के लिए जैसा वे
चाहें |
लेकिन अब एक दिमाग
की बत्ती घुमाने वाला सवाल, आखिर
ईराक ,इरान ,अरब मध्य पूर्वी देश
अमेरिका की बात क्यों मानते हैं ? अमेरिका मध्य
पूर्वी देशों को केवल डॉलर में पेट्रोल बेचने के
लिए क्या देता है ?
तो जवाब
मध्य पूर्वी देशों के शासक राजा (वहां के
मुसलमान राजा ,शेख ) अपनी सुरक्षा के लिए
अमेरिका को किराया देते हैं | इसी तरह वे आज
भी अपना कर्ज ही चुका रहें हैं
जो उन्होंने अमेरिका से सड़क और बिल्डिंग अपने देश में
बनवाने के लिए लिया था | यही है अमेरिकन
डॉलर का मूल्य जो वे दे रहें हैं | यही कारण
है कि कुछ लोग कहते हैं कि एक दिन डॉलर का नामोनिशान
मिट जाएगा |
भारत की वर्तमान समस्या का कारण है
अमेरिकन डॉलर का क्रय | अमेरिकन सफ़ेद कागज़
भारतीय गोल्ड के बराबर
ही मूल्यवान है | इसलिए यदि हम पेट्रोल
की खपत कम कर पायें तो डॉलर का मूल्य
नीचे उतर आए

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