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Tuesday, December 11, 2012

कुरान और हदीसों

यदि कुरान और हदीसों को ध्यान से पढ़ें ,तो उसमे अल्लाह के द्वारा जितने भी आदेश दिए गए हैं ,सब में केवल जिहाद ,ह्त्या ,लूट ,बलात्कार और अय्याशी से सम्बंधित है .कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति इनकी ईश्वर के आदेश मानने से इंकार कर देगा .अप देखेंगे की अल्लाह हमेशा मुहम्मद का पक्ष लेता है ,मुहम्मद के हरेक कुकर्म को किसी न किसी आयात से जायज बता देता है .मुहम्मद के लिए औरतों का इंतजाम करता है ,मुहम्मद के घरेलु व

िवाद सुलझाता है ,मुहम्मद के पापों पर पर्दा डालता है ,आदि

यूरोप के विद्वान् इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि वास्तव में अल्लाह एक कल्पित चरित्र है .अल्लाह का कोई अस्तित्व नहीं है .अल्लाह और कोई नहीं मुहम्मद ही था .जो अल्लाह का रूप धरकर पाखण्ड कर रहा था ,और लोगों को मूर्ख बनाकर अपनी मनमर्जी चला रहा था .और अय्याशी कर रहा था .कुरान अल्लाह की किताब नहीं ,बल्कि मुहम्मद ,आयशा ,और वर्क बिन नौफल की बेतुकी बातों का संग्रह है .और हदीसें मुहम्मद के साथियों द्वारा चुगली की गयी बातें हैं (इसके बारे में अगले लेख में विस्तार से दिया जायेगा )

यहाँ पर उन्हीं तथ्यों की समीक्षा की जा रही है ,जिस से साबित होता है ,की मुहम्मद अलाह की खाल ओढ़कर अपनी चालें कैसे चलता था .इसके लिए प्रमाणिक हदीसों और कुरान से हवाले लिए गए हैं -

1 -अल्लाह को केवल मुहम्मद ही जानता था

“रसूल ने कहा कि केवल मुझे ही अलह के बारे में पूरी पूरी जानकारी है ,कि अल्लाह कैसा है ,और कहाँ रहता है ,और भवष्य में क्या करने वाला है “

सही मुस्लिम -किताब 30 हदीस 5814

“आयशा ने कहा कि ,जब भी मोमिन रसूल के पास आकर,उन से अल्लाह और रसूल के अधिकारों ,के बारे में कोई सवाल करता था ,तो रसूल एकदम भड़क जाते थे ,और कहते थे कि ,मैं अल्लाह को अच्छी तरह पहिचानता हूँ .मुझ में और अल्लाह में कोई फर्क नहीं है .मैं अल्लाह के बारे में तुम सब से अधिक जानता हूँ “

बुखारी -जिल्द 1 किताब 2 हदीस 19

सईदुल खुदरी ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,जन्नत में केवल उन्हीं लोगों को ऊंचा स्थान मिलेगा जो ,अल्लाह के साथ मुझे भी आदर देंगे ,और मुझे चाहेंगे “

बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 478 .

2 -अल्लाह मुहम्मद को औरतें भेजता था

“खौला बिन्त हकीम नामकी एक औरत रसूल के पास गयी ,रसूल ने उस से सहवास कि इच्छा प्रकट की ,लेकिन आयशा को यह पसंद नहीं आया .इस पर रसूल ने कहा कि ,आयशा क्या तुम नहीं चाहती हो ,आल्लाह मुझे औरतें भेजकर मुझे ख़ुशी प्रदान नहीं करे .इस औरत को अल्लाह ने मेरे लिए ही भेजा है “.

बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 48 .

3 -अल्लाह मुहम्मद का पक्ष लेता था

“अब्ब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब ने कहा कि ,रसूल से मैंने सुना कि रसूल ने कहा अल्लाह हमेशा मेरा ही पक्ष लेता है .और मेरी हरेक बात को उचित ठहरा देता है .मेरे मुंह से अल्लाह ही बोलता है “सहीह मुस्लिम -किताब 1 हदीस 54 .

4 -मुहम्मद को गाली,अल्लाह को गाली

“अबू हुरैरा ने कहा कि ,जब कुरैश के लोग रसूल को मुहम्मद कि जगह “मुहम्मम “कहकर चिढाते थे तो,रसूल ने कहा क्या तुम लोग यह नहीं जानते हो कि ,तुम अल्लाह को चिढ़ा रहे हो .इस से तुम पर अजाब पड़ेगा “बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 773

5 -मुहम्मद कि जुबान अल्लाह कि जुबान

“अबू मूसा ने कहा कि ,रसूल ने कहा ,मैं जो भी कहता हूँ वह मेरी नहीं बल्कि अल्लाह कि जुबान है .जिसने मेरी बात मानी समझ लो उसने अल्लाह कि बात को मान लिया “अबू दाऊद-किताब 3 हदीस 5112

“आयशा ने कहा कि ,हिन्दा बिन्त उतबा रसूल के पास शिकायत लेकर आई और बोली कि ,मुझे अबू सुफ़यान से खतरा है ,क्या मैं अपना घर छोड़ कर चली जाऊं ,क्या सुफ़यान को अल्लाह का खौफ नहीं है .रसूल ने कहा तुम डरो नहीं ,तुम्हें कुछ नहीं होगा .यह मेरा नहीं अल्लाह का वायदा है “सहीह मुस्लिम -किताब 18 हदीस 4254 .

6 -मुहम्मद को अल्लाह का डर नहीं था

“आयशा ने कहा कि ,एक बार जैसे ही रसूल घर में दाखिल हुए तो ,एक यहूदिन ने चिल्लाकर रसूल से कहा कि ,क्या तझे पता नहीं है कि ,कयामत के दिन अल्लाह तेरे गुनाहों के बारे में सवाल करेगा .रसूल ने कहा कि मुझे इसका कोई डर नहीं है .मैं खुद अपने आप से सवाल क्यों करूंगा “मुस्लिम -किताब 4 हदीस 1212 .

“अम्र बिन आस ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,अल्लाह तो मेरा दोस्त है .और वह मुझसे या मेरे बाप दादाओं या मेरे साथियों से उनके गुनाहों के बारे में कोई सवाल नहीं करेगा .और मई सब गुनाह माफ़ कर दूंगा “मुस्लिम -किताब 1 हदीस 417 .इब्ने माजा -किताब 1 हदीस 93

7 -मुहम्मद से नीची आवाज में बोलो

“हे ईमान वालो ,अपनी आवाजें रसूल की आवाजों से ऊंची नहीं करो ,और जो लोग रसूल के सामने अपनी आवाजें नीची रखते है .अल्लाह उनके लिए क्षमा और उत्तम बदला देगा “सूरा -अल हुजुरात 49 :2 और 3

8 -अल्लाह के नाम पर मुहम्मद का कानून

“जब अल्लाह का रसूल की फैसला कर दे ,तो किसी को कोई अधिकार नहीं रह जाता है कि ,वह रसूल कि वह रसूल के फैसले कि अवज्ञा कर सके .”

सूरा -अहजाब 33 :36 .

“इब्ने अब्बास ने कहा कि ,जो रसुल के आदेश को कबूलकरेगा और मान लेगा समझ ले कि उसाने अल्लाह केअदेश को मान लिया .और जो रसूल के आदेश का विरोध करेगा वह अल्लाह का विरोध माना जाएगा “बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 634 .

9 -मुहम्मद का आतंक अल्लाह का आतंक

“अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,मैं लोगों ले दिलों में आतंक पैदा कर दूंगा .और जो आतंक होगा वह अल्लाह के द्वारा पैदा किया आतंक समझा जाये

“सहीह मुस्लिम -किताब 4 हदीस 1066 और 1067 .

10 -अल्लाह ने शादियाँ तय करवायीं

“जब मुहम्मद ने अपनी पुत्रवधू जैनब बिन्त से अपनी शादी करवाई थी ,वह शादी खुद अल्लाह ने ही करवायी थी .उस समय अल्लाह के आलावा कोई दूसरा नहीं रसूल ही थे “सहीह मुस्लिम -किताब 4 हदीस 1212 .

11 -अल्लाह के बहाने अली बोलता था

“जाबिर बिन अब्दुल्लाह ने कहा कि ,अक्सर जब रसूल कोई महत्वपूर्ण आयत सुनाने वाले होते थे तो ,सब को बुला लेते थे .फिर अपने घर के एक गुप्त कमरे में अली को बुला लेते थे .जबीर ने कहा कि इसी तरह एक बार रसूल ने हमें बुलाया ,फिर कहा कि एक विशेष आयत सुनाना है .फिर रसूल अली को एक कमरे में ले गए .आर कहा कि इस आयत में काफी समय लग सकता है इसलिए अप लोग रुके रहें ,हमने चुप कर देखा कि अली ,रसूल से अल्लाह की तरह बातें कर रहा था .वास्तव में कमरे में रसूल और अली के आलावा कोई नहीं था .अलह कि तरह बातें करने वाला और कोई नहीं बल्कि रसूल का चचेरा भाई अली था “शामए तिरमिजी हदीस 1590 .

इस सारे विवरणों से साफ पता चलता है कि ,अल्लाह का कोई अस्तित्व ही नहीं है .यह मुहम्मद की चालबाजी और पाखंड था .अरब के मुर्ख ,लालची लोग मुहाम्मद की बे सर पैर की बातों को अल्लाह का आदेश मान लेते थे .आज भी कई ढोंगी बाबा ,फकीर इसी तरह से लोगों को ठगते रहते है .चूंकि आज विज्ञानं का प्रचार होने से लोग ऐसे ढोंगियों को जल्द ही भंडा फोड़ देते हैं .और पाखंडियों को जेल के अन्दर करा देते हैं .और ढोंगियों के जाल से बच जाते है .

आज इस बात की अत्यंत जरुरत है कि दुनिया के सबसे बड़े धूर्त ,पाखंडी ,और अल्लाह के नाम पर आतंक करने वाले स्यंभू रसूल का विश्व स्तर पर भंडा फोड़ा जाये .तभी लोग शांति से जी सकेंगे .अल्लाह को मानाने या उस से डरने कि कोई जरुरत नहीं है .मुहम्मद ही अल्लाह बना हुआ था .

हनुमान चलीसा


जो यह पढ़ै हनुमान चलीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥

बुध्दिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥

चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपिस तिहुँ लोक उजागर॥
रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै कांधे मूँज जनेऊ साजै॥
संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बंदन॥
बिद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लषन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे। रामचंद्र के काज सँवारे॥
लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते। कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा॥
तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना। लंकेस्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना॥
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हाँक तें काँपै॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुडावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोइ लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अंत काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेंइ सर्ब सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरु देव की नाईं॥
जो सत बर पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चलीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥
6

काबा या अल्लाह की कालकोठरी

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भारत के सभी धर्मों में ईश्वर को सर्वव्यापी माना जाता है . अर्थात ईश्वर का निवास किसी विशेष स्थान पर नहीं हो सकता . हम उसकी उपासना किसी भी देश , किसी भी स्थान पर कर सकते हैं .हम श्रद्धा पूर्वक ईइश्वर को जहाँ भी पुकारते है . ईश्वर वहीँ उपस्थित हो जाता है .ईसाइयों के अनुसार उनके खुदा का निवास वैसे तो स्वर्ग के चौथे असमान पर है , लेकिन वह अपने नबियों जैसे
, आदम . मूसा और दाऊद से मिलने के लिए पृथ्वी पर उतर जाता था . और नबियों से आमने स
ामने बातें भी करता था .लेकिन मुसलमानों का अल्लाह सिर्फ जन्नत में बताया जाता है . जैसे कुरान में दिया है .
1--अल्लाह का निवास
"जो एक महान सिंहासन का स्वामी है .सूरा -नम्ल 27 :26
वह एक बड़े सिंहासन पर विराजमान है .सूरा -अत तौबा 9 :29
वह ऊंचाई पर स्थित तख़्त का स्वामी है. सूरा -अल मोमनीन 40 :15
अरबी भाषा में" काबा كعبه"का अर्थ "टखने Ankle " होता है .लेकिन इसका तात्पर्य " उच्च स्थान a high place .इज्जत वाला respected भी होता है .इसे " बैतुल अतीक بيت العتيق" यानि पुराना घर और " मस्जिदुल हरामمسجد الحرام "यानि वर्जित मस्जिद भी कहा जाता है .
2-अरब में कई काबा थे
इस्लाम से पूर्व अरब में छोटे बड़े मिलाकर लगभग 20 काबा मौजूद थे . और सभी में उपासना होती थी .जिनने कुछ प्रसिद्ध कबाओं के बारे में हदीसों में भी उल्लेख है .यह इस प्रकार हैं .इस्लाम से पहले के एक कवि " जोहैर इब्न अबी सलमा " ने अपनी किताब"अल मुआल्ल्का " में अरब के कुछ प्रसिद्ध काबा के नाम दिए हैं .
1 . नजरान काबा ,यह मक्का से दक्षिण में था 2 .सिंदाद काबा यह कूफा में था 3 .जुल खलश काबा यह मक्का के पूर्व में था .शद्दाद काबा 4 .गफ्तान काबा इसे सन 624 में तुड़वा दिया गया 5 . मक्का का काबा जो कुरैश लोगों ने बनाया था .इनमे कुछ ऐसे भी थे जिनमे मूर्ति पूजा नहीं होती थी . फिर भी मुहम्मद ने उन्हें तुड़वा दिया . यह हदीसों से साबित है जैसे
1.नजरान काबा
नजरान के जब्ल तसल की पहाड़ी पर एक काबा था . जहाँ जादातर ईसाई थे . जो मूर्तिपूजक नहीं थे . कुछ अरब भी वहां इबादत करते थे .मुहम्मद ने सन 631 में वहां हमला किया , और लोगों को इस्लाम कबूल करने को कहा . और जब उन लोगों ने इंकार किया तो मुहम्मद वहां के सभी 2000 लोगों को क़त्ल करा कर उनकी लाशें जलवा दीं." सही मुस्लिम - किताब 4 हदीस 1003
2-गफ्तान काबा
अरब के नज्द शहर के पास बनी गफ्तान यहूदी कबीले का एक काबा था .वह लोग मूर्ति पूजक नहीं थे . लेकिन अरब के लोग उस काबा को भेंट चढाते थे . जब मुहम्मद को पता चला तो उसने इस्लामी महीने जमादुल ऊला हिजरी 4 सन 624 को मदीना से आकर वहां हमला किया . और लोगों को क़त्ल करके वह काबा नष्ट करा दिया . बुखारी - किताब 8 हदीस 630
3-यमनी काबा
जरीर बिन अब्दुल्लाह ने कहा मैंने रसूल को बताया कि यमन में एक और काबा है . जिसे लोग " जिल खलश ذي هلسا" या " काबा अल यमनिया" और " काबा अश शम्शिया الكعبة الشامية " कहते हैं . वहां "अहमस " कबीले के लोग रहते है . यह सुनते ही रसूल ने कहा तुम तुरंत फ़ौज लेकर वहां जाओ . और उस काबा को तोड़ दो . और वहां मौजूद सभी लोगों को क़त्ल कर दो .क्योंकि दुनिया में एक ही काबा रह सकता है .
बुखारी -जिल्द 5 किताब 58 हदीस 160
जबीर ने कहा कि इस काबा के उत्तर में यमन में अहमस कबीले का एक और काबा था . जिसे " जुल खलश" काबा कहते थे . रसूल के कहने से हम 350 घुड सवारों की फ़ौज लेकर गए और वहां के सभी लोगों को क़त्ल करके और उस काबा को नष्ट करके वापस आ गए .
सही मुस्लिम किताब 31 हदीस 6052
मुहम्मद के आदेश से अप्रेल सन 632 यानि हिजरी 10 मुसलमानों ने यमन का काबा नष्ट कर दिया . और वहां मौजूद सभी लोगों को क़त्ल कर दिया
.बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 641

3-कुरान का झूठा दावा और काबा
मुसलमान समझते हैं कि काबा का निर्माण इब्राहीम ने अपने हाथों से किया था . जैसा कुरान कि कुरान में लिखा है ,
"याद रखो जब हमने काबा को केंद्र बनाया और इब्राहीम को आदेश दिया कि इस जगह को इबादत की जगह बनाओ ,और इस काम की इब्राहीम और इस्माइल को जिम्मेदारी सौंप दी " सूरा - बकरा 2 :125
"और जब इब्राहीम और इस्माइल काबा की नींव रख रहे थे ,तो उन्होंने दुआ की थी ,कि हमारी तरफ इस घर को स्वीकार कर लो " सूरा - 2 :127
4-बाइबिल से प्रमाण
कुरान का यह दावा कि काबा इब्राहीम ने बनाया था . सरासर झूठ है . क्योंकि बाइबिल अनुसार इब्राहीम और इस्माइल अरब या मक्का कभी नहीं गए .चूँकि बाइबिल कुरान से काफी पुरानी है . इसलिए उसकी बात सही है . उसमे लिखा है .
"फिर इब्राहीम ऊर से निकल कर बेतेल के पूर्व में एक पहाड़ पर तंबू बनाकर रहने लगा .और वहीं उसने एक वेदी भी बनायीं "उत्पत्ति 12 :8
फिर कुछ सालों के बाद इब्राहीम अपना तम्बू उखाड़ कर ममरे के बांजों में हेब्रोन में जाकर बस गया . और जीवन भर वहीं रहा "उत्पत्ति 13 :18
इब्राहीम कनान देश के ऊर शहर में पैदा हुआ था . और जब बूढ़ा हुआ तो 175 साल की आयु में मर गया . उसके लडके इशक और इस्माइल ने उसे मकपेला की गुफा में दफना दिया .अर्थात जो जमीन उसने हित्तियों से खरीदी थी .बाद में इब्राहीम की पत्नी सारा को भी उसी जमीन में दफना दिया गया "बाईबिल .उत्पत्ति 25 :9 -10
" और जब इस्माइल भी 137 साल का होकर मरा तो उसे भी उसी भूमि में दफना दिया गया ."उत्पति 25 :17
5-मुहम्मद का सफ़ेद झूठ
अबू जर ने कहा मैंने रसूल से पूछा कि दुनिया में सबसे पहले अल्लाह का कौन सा घर बना था . रसूल बोले " मस्जिदुल हराम " यानि काबा . फिर मैंने पूछा दूसरा घर कौन सा बना है तो रसूल बोले " मस्जिदुल अक्सा " जो यरूशलेम में है .फिर मैंने पूछा इन दौनों घरों के निर्माण में कितने सालों का अंतर है . तो रसूल बोले चालीस साल ' बुखारी - जिल्द 4 किताब 55 हदीस 636
6-यरूशलेम का मंदिर
यरूशलेम स्थित जिस मस्जिद को मुसलमान " बैतुल मुकद्दस " कहते हैं उसे हिब्रू में " बेथ ह मिकदिश בֵּית־הַמִּקְדָּשׁ" कहते है .मुसलमान इसे " मस्जिदुल अक्सा " भी कहते हैं .इसका निर्माण राजा सुलेमान ( Solomon ) ने 957 ई० पू . में किया था . वास्तव में वह मस्जिद नहीं एक यहूदी मंदिर Temple था . जहाँ वेदी पर चढ़ावा चढ़ाता था और स्तुति होती थी
7-किबला का परिवर्तन
मुसलमान जिस उपासना स्थल की तरफ नमाज पढ़ते हैं उसे " क़िबला " कहा जाता है .पहले मुसलमान यरूशलेम के मंदिर की तरफ नमाज पढ़ते थे . लेकिन मुहम्मद ने 11 फरवरी सन 624 ( शाबान महीना हिजरी 2 ) अचानक मुसलमानों को काबा की तरफ नमाज पढ़ने का हुक्म दे दिया . यह बात कुरान में भी इस तरह लिखी है
"यह मूर्ख लोग कहते हैं कि मुसलमान जिस किबले पर थे उसे किस चीज ने फेर दिया " सूरा- 2 :142
"तो समझ लो हमीं हैं . जो तुम्हें उस किबले से उस किबले की तरफ फेरे देते हैं . जिसे तुम पसंद करोगे . और अब तुम अपना मुंह मस्जिदुल हराम यानि काबा की तरफ फेर दो " सूरा -बकरा 2 :144
8-काबा में चित्र और मूर्तियाँ
प्रसिद्ध इतिहासकार , F. E. Peters ने अपनी पुस्तक " The Hajj " के पेज 3 से 41 में काबा के बारे में बताया है ,यह किताब सन 1994 में प्रकाशित हुई है .इसके अनुसार मुहम्मद का एक पूर्वज "अम्र इब्न लुहैय(Amr ibn Luhayy )जब एकबार मेसोपोटामिया गया था तो , वहां से " हुब्ल( Hubl ) नामके देवता की मूर्ति लाया था . और मक्का के काबा में लगा दी थी . लोग हुब्ल को सबसे बड़ा देवता मानते थे , फिर देखादेखी कुरैश लोगों ने काबा में कई देवी देवताओं की मूर्तियाँ लगा दी .काबा में मरियम . इब्राहीम और इस्माइल के चित्र भी लगे थे . जिन पर लोग धन चढाते थे.जो पुजारियों में बाँट दिया जाता था . काबा के पुजारी को " शेख " कहा जाता था . मुहम्मद के समय मुख्य पुजारी " अबू सुफ़यान " था
इब्न अब्बास ने कहा कि जब रसूल काबा के अन्दर जाने लगे तो देखा कि वहां दीवार पर इब्राहीम और इस्माइल की तस्वीर बनी हुई है . जो हाथों में तीर लेकर उनकी संख्या गिन कर शकुन निकाल रहे है . रसूल बोले लानत है कुरैश पर . इब्राहिम और इस्माइल ने कभी ऐसा नहीं किया . तुम इस तस्वीर को मिटा डालो "
बुखारी - जिल्द 4 किताब 55 हदीस 571

.देखिये विडियो Islam Exposed: Kaaba is the House of Idols:

http://www.youtube.com/watch?v=NgQjzNYklr0
9-मूर्तियाँ तोड़ने का कारण
उस समय काबा के अन्दर और दीवार के पास 360 देवी देवताओं की मूर्तियाँ रखी थी .जिनकी पूजा करने के लिए हर कबीले के कई पुजारी रहते थे . जिन्हें शेख कहा जाता था .चूँकि मक्का यमन से सीरिया जाने वाले मुख्य व्यापारिक में पड़ता था इसलिए काफिले वाले काबा के देवताओं पर जो धन चढाते थे वह सभी पुजारियों में बंट जाता था .और अक्सर बहुत कम चढ़ावा आता था .मुहम्मद से समय मुख्य पुजारी " अबू सुफ़यान " था . मुहम्मद ने रमजान के महीने हिजरी 8 सन 630 को उसे कैद कर लिया और कई पुजारियों को क़त्ल करा दिया .और काबा की सभी मूर्तियों को तोड़ कर काबा अपने रिश्तेदारों के हवाले कर दिया .और कहा "सत्य आ गया और असत्य मिट गया " सूरा -बनी इसराइल 17 :81
हमने तो कुरैश के लोगों से रिश्ता बना लिया . और उन्हीं को अल्लाह के इस घर की इबादत करने के लिए नियुक्त कर दिया . ताकि भूखों मरने के डर से बच सकें . और निश्चिन्त होकर खाएं पियें .सूरा- कुरैश 106 : 1 से 4 तक
10-काबा के अन्दर क्या है ?
काबा की लम्बाई 39 .6 इंच है .और कुल क्षेत्रफल 627 फुट है . यानि 13 x 9 वर्ग मीटर है छत की ऊंचाई 2 .2 मीटर और दीवार एक मीटर मोटी है
उत्तरी अमेरिका के इस्लामी सोसायटी के अध्यक्ष को 1998 में काबा के अन्दर जाने का अवसर मिला था . उन्होंने जो देखा वह इस प्रकार है ,अन्दर दो खम्भे हैं . एक सुगंधी जलाने चौकी है . छत पर कंदील लटका है लेकिन बिजली नहीं है . कोई खिड़की नहीं है . बह एक ही दरवाजा है .देखिये विडियो
Inside Kaaba Video

http://www.youtube.com/watch?NR=1&feature=fvwp&v=17XG-kxUskY

इन सभी प्रमाणों से निम्न बातें स्पष्ट रूप से सिद्ध होती है कि 1.मुसलमानों का अल्लाह ईश्वर नहीं हो सकता क्योंकि वह सर्वव्यापी नहीं है .यदि वह सर्वव्यापी है तो किसी और देश में काबा क्यों नहीं बन सकता .2 - मुहम्मद को यरूशलेम के इतिहास का कोई ज्ञान नहीं था , इस लिए उसे अल्लाह का रसूल मानना मुर्खता है 3 .मुहम्मद का एकेश्वरवाद सिर्फ पाखंड था . वह उसके बहाने दुसरे धर्म स्थानों को लूटना चाहता था . वर्ना उसने उन कबाओं को क्यों तोडा जहाँ मूर्ति पूजा नहीं होती थी .4.अगर अल्लाह सचमुच जिन्दा है तो वह आज किसी मुल्ले मौलवी से बात क्यों नहीं करता , क्या सभी मुसलमान पापी हैं ?5 . मुहमद ने अपने कुनबे के लोगों का हमेशा के लिए पेट भरने का इंतजाम कर दिया था .लेकिन वास्तविकता तो यही है कि अल्लाह चाहे कैसा भी रहा होगा वह आज तक एक ऐसी अँधेरी और बंद कालकोठरी में कैद है , जिसमे हवा भी नहीं जा सकती .
अल्लाह काबा में कैद है . और कैदी की उपासना बेकार है ........

Monday, December 10, 2012

गेहूं के जवारे : पृथ्वी की संजीवनी बूटी




प्रकृति ने हमें अनेक अनमोल नियामतें दी हैं। गेहूं के जवारे उनमें से ही प्रकृति की एक अनमोल देन है। अनेक आहार शास्त्रि
यों ने इसे संजीवनी बूटी भी कहा है, क्योंकि ऐसा कोई रोग नहीं, जिसमें इसका सेवन लाभ नहीं देता हो। यदि किसी रोग से रोगी निराश है तो वह इसका सेवन कर श्रेष्ठ स्वास्थ्य पा सकता
है।

गेहूं के जवारों में अनेक अनमोल पोषक तत्व व रोग निवारक गुण पाए जाते हैं, जिससे इसे आहार नहीं वरन्‌ अमृत का दर्जा भी दिया जा सकता है। जवारों में स
बसे प्रमुख तत्व क्लोरोफिल पाया जाता है। प्रसिद्ध आहार शास्त्री डॉ. बशर के अनुसार क्लोरोफिल (गेहूंके जवारों में पाया जाने वाला प्रमुख तत्व) को केंद्रित सूर्य शक्ति कहा है।

गेहूं के जवारे रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों, रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, स्थायी सर्दी, साइनस, पाचन संबंधी रोग, पेट में छाले, कैंसर, आंतों की सूजन, दांत संबंधी समस्याओं, दांत का हिलना, मसूड़ों से खून आना, चर्म रोग, एक्जिमा, किडनी संबंधी रोग, सेक्स संबंधी रोग, शीघ्रपतन, कान के रोग, थायराइड ग्रंथि के रोग व अनेक ऐसे रोग जिनसे रोगी निराश हो गया, उनके लिए गेहूं के जवारे अनमोल औषधि हैं। इसलिए कोई भी रोग हो तो वर्तमान में चल रही चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ इसका प्रयोग कर आशातीत लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

हिमोग्लोबिन रक्त में पाया जाने वाला एक प्रमुख घटक है। हिमोग्लोबिन में हेमिन नामक तत्व पाया जाता है। रासायनिक रूप से हिमोग्लोबिन व हेमिन में काफी समानता है। हिमोग्लोबिन व हेमिन में कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन व नाइट्रोजन के अणुओं की संख्या व उनकी आपस में संरचना भी करीब-करीब एक जैसी होती है। हिमोग्लोबिन व हेमिन की संरचना में केवल एक ही अंतर होता है कि क्लोरोफिल के परमाणु केंद्र में मैग्नेशियम, जबकि हेमिन के परमाणु केंद्र में लोहा स्थित होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि हिमोग्लोबिन व क्लोरोफिल में काफी समानता है और इसीलिए गेहूं के जवारों को हरा रक्त कहना भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है।

गेहूं के जवारों में रोग निरोधक व रोग निवारक शक्ति पाई जाती है। कई आहार शास्त्री इसे रक्त बनाने वाला प्राकृतिक परमाणु कहते हैं। गेहूं के जवारों की प्रकृति क्षारीय होती है, इसीलिए ये पाचन संस्थान व रक्त द्वारा आसानी से अधिशोषित हो जाते हैं। यदि कोई रोगी व्यक्ति वर्तमान में चल रही चिकित्सा के साथ-साथ गेहूं के जवारों का प्रयोग करता है तो उसे रोग से मुक्ति में मदद मिलती है और वह बरसों पुराने रोग से मुक्ति पा जाता है।

यहां एक रोग से ही मुक्ति नहीं मिलती है वरन अनेक रोगों से भी मुक्ति मिलती है, साथ ही यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति इसका सेवन करता है तो उसकी जीवनशक्ति में अपार वृद्धि होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि गेहूं के जवारे से रोगी तो स्वस्थ होता ही है किंतु सामान्य स्वास्थ्य वाला व्यक्ति भी अपार शक्ति पाता है। इसका नियमित सेवन करने से शरीर में थकान तो आती ही नहीं है।

यदि किसी असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति को गेहूं के जवारों का प्रयोग कराना है तो उसकी वर्तमान में चल रही चिकित्सा को बिना बंद किए भी गेहूं के जवारों का सेवन कराया जा सकता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि कोई चिकित्सा पद्धति गेहूं के जवारों के प्रयोग में आड़े नहीं आती है, क्योंकि गेहूं के जवारे औषधि ही नहीं वरन श्रेष्ठ आहार भी है।
(डॉ. जगदीश जोशी)

सावधानी
गेहूँ के जवारों का रस निकालने के पश्चात अधिक समय तक नहीं रखना चाहिए अन्यथा उसके पोषक तत्व समय बीतने के साथ-साथ नष्ट हो जाते हैं, क्योंकि गेहूँ के जवारों में पोषक तत्व सुरक्षित रहने का समय मात्र ३ घंटे है। गेहूँ के जवारों को जितना ताजा प्रयोग किया जाता है , उतना ही अधिक उसका स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। इसका सेवन प्रारंभ करते समय कुछ लोगों को दस्त, उल्टी, जी घबराना व अन्य लक्षण प्रकट हो सकते हैं, किंतु उन लक्षणों से घबराने की आवश्यकता नहीं है, आवश्यकता है केवल इसकी मात्रा को कम या कुछ समय के लिए इसका सेवन बंद कर सकते हैं।

Sunday, December 02, 2012

हर रंग कुछ कहता है.


जितनी खूबसूरत हमारी यह रंगीन दुनिया हैउतनी ही विलक्षण इन रंगो की दुनिया है.बचपन मॅ हमॅ सिर्फ उन सात रंगॉ के नाम सिखाये जाते है जो हम इन्द्रधनुष मॅ देख सकते है.परंतु,सच तो यह है कि हम रंगो को किसी संख्या यागणना मॅ सीमित नहीं कर सकते.रंगो कि कोइ गिनती नही होती क्योकि इस दुनिया मॅ असंख्य रंग है.इसका कारण यह है कि किन्ही भी दो रंगो को मिला कर हम एक तीसरा रंग बना सकते है,और उन दो रंगॉ की मात्रा मॅ फेर-बदल कर के हम अनेक रंग बना सकते है.इस तरह हम अलग-अलग combinations से असंख्य रंग बना सकते है.
इसी बात को हम थोडा विस्तार मॅ देखते है.रंगो को हम मूलतः तीन वर्गो मॅ बाँट सकते है. ये है –Primary,Secondary, और Tertiary Colours
(1) Primary Colours:- Primary colours वे रंग है जिन्हॅ हम दूसरे रंगो की मदद से नही बना सकते है. ये रंग है – लाल,पीला,और नीला .ये तीन रंग बेस या foundation रंग है जोकि किसी भी रंग को मिला कर नहीं बनाये जा सकते है. परंतु,इन तीन रंगो के माध्यम से हम नाना प्रकार के रंग बना सकते है.
ये primary colours यानि कि लाल,पीले,और नीले रंग एक साथ इस्तेमाल करने पर विविध और आकर्षक लगते है .ये रंग तीव्रता,रफ्तार,और आपातकाल यानि कि emergency को सूचित करते है.
(2)Secondary Colours:-किसी भी दो primary colours को समान मात्रा मॅ मिलाने से जो नया तीसरा रंग बनता है उसे secondary colour कहते है.तीन primary colours को समान मात्रा मॅ मिलाने से तीन combinations होते है जिनसे तीन नये secondary colour बनते है.:-
लाल + पीला = नारंगी.
पीला + नीला = हरा
लाल + नीला = बैंगनी.
colour wheel मॅ  secondary colours उन दो primary colours के बीच मॅ होतॅ है जिनके मेल से secondary colourबनते है.
(3) Tertiary Colours:- tertiary colours “in-between” रंग होते है.ये रंग एक primary colour और उस के समीप वालेएक् secondary colour  के मेल से बनते है.primary या  secondary रंग के मात्रा या proportion मॅ फेर-बदल कर के हम अनेकानेक  tertiary colour बना सकते है. reddish-orange,yellowish-orange,yellowish-green,bluish-green,reddish-violet,bluish-violet – मूल tertiary colours  होते है.
ये रंग न केवल आप्के जीवन मे अपनी छटा बिखेर कर उसे खूबसूरत बनाते हैं,बल्कि यही रंग आपके मन,मस्तिष्क ,भावनाओ और स्वभाव पर भी अपना असर दिखाते हैं.आपके पसन्दीदा रंग आपके व्यक्तित्व को भी दर्शाते हैं.इसी वजह से मनोविज्ञान मे रंगो का अपना एक अलग महत्व है.रंगो से मनुष्य की भावनाओ पर होने वाले प्रभावो के अनुसार रंगो को दो भागो मे विभाजित किया जा सकता है:-
(1)   Warm Colours:- ये रंग गर्माहट और उष्णता का आभास कराते हैं.ऐसे रंग उत्साह,और सुरक्षित होने की भावना के साथ  साथ गुस्सा और उत्तेजना भी बढा सकते हैं.लाल,पीले,नारंगी,और भूरे रंगो को हम warm colours  कह सकते हैं.ऐसे रंगो को हम सूरज,रौशनी दोपहर,और सांझ से जोड सकते हैं. warm colours  ही सबसे पहले हमारा ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं.
(2)   Cool Colours:- ये रंग इन्द्रियो को शान्त करने वाले,स्वास्थ्यवर्द्धक ,निश्चल,स्थिर,आरामदायक,और ठंडक प्रदान करने वाले होते हैं.इन रंगो को हम पानी,वायु,प्रकृति और पेड-पौधो के सन्दर्भ मे देख सकते हैं.अतः नीले,हरे,और बैंगनी रंग इस वर्ग के अंतर्गत आते हैं.कुछ लोग ग्रे या स्लेटी रंग को भी इसी श्रेणी मे रखते हैं.
इस वर्गीकरण को हम विस्तार से प्रत्येक रंग के सन्दर्भ मे देखते हैं. हर रंग अपने अन्दर कुछ विशेष्ताओँ को समेट कर रखता है जिनका सीधा असर मनुष्य पर पडता है.यह असर सकरात्मक और नकरात्मक दोनो प्रकार से हो सकता है.इसी वजह से product packaging, logo designing और  interior designing के क्षेत्र मे इस्तेमाल किये गये रंगो पर खास ध्यान दिया  जाता है.
(1) लाल रंग:- लाल रंग physical reactions से जुडा है.यह रंग खतरा ,तीव्रता,और उत्तेजना का सूचक है.जहाँ एक ओर यह रंग साहस,शक्ति,और उत्साह बढाता है ,वही दूसरी ओर यह  defiance और  rebellion यानि आज्ञा का उल्लंघन करने की प्रवृति को भी बढाता है.अन्य रंगो की तुलना मे यह रंग सबसे पहले अपनी ओर ध्यान केन्द्रित करवाता है.इसी कारणवश लाल रंग विश्व स्तर पर  traffic lights मे इस्तेमाल किया जाता है.
(2) नीला रंग:- नीले रंग का असर मस्तिष्क पर पडता है.यह रंग आरामदायक, soothing और relaxing है.यह रंग बुरे सपनो और ख्यालो को दूर करता है और आपस मे परस्पर विश्वास,त्याग,और समर्पण की भावना को बढाता है.इसके साथ-साथ यह रंग बौद्धिक क्षमता और ध्यान एकाग्र करने की क्षमता को भी बढाता है.
(3)पीला रंग:- यह रंग हमारी भावनाओ से सीधा जुडा हुआ है.मनोविज्ञान मे इसे सबसे ताकतवर और tricky रंग माना जाता है.जहाँ पीले रंग का सही शेड सकरात्मकता,रचनात्मकता, confidence,स्वाभिमान,और मित्रता की भावना को बढाता है,वही इसी रंग का गलत शेड डर,अवसाद,और रोग-व्याधि का परिचायक होता है.
(4)हरा रंग:- यह रंग शारीरीक संतुलन और सामंजस्य का प्रतीक है.यह रंग शांति,प्यार,एकता बढाता है.माना जाता है कि इस रंग मे rejuvenating and healing qualities हैं जोकि आँखो को सुकून पहुँचाती है औत ताज़गी का अहसास दिलाती है.
(5)बैंगनी रंग:- इस रंग के मत मे एक striking contrast देखा जाता है.यह रंग शाही और जादुई माना जाता है जोकि सांसारिक सम्पन्नता ,धन,ऐश्वर्य,और विलासिता को सूचित करता है.परंतु इसके विपरित ,यह रंग पार्लौकिक ,धार्मिक,और आध्यात्मिक जागरूकता को बढाता है और इनसे सम्बन्धित विचारो और द्रष्टिकोण को मुखर करता है.
Colour Wheel मे पाये जाने वाले अनेक रंगो के अलावा भी कुछ रंग होते है. ये रंग हैं:- काला.सफेद और ग्रे या स्लेटी रंग.
(1) काला रंग:- यह रंग हर रंग को सोख लेता है,और कोइ भी रंग reflect नही करता.इसीलिये यह रंग हमें काला दिखता है.यह रंग  sophisticated और glamorous
माना जाता है.परंतु यही रंग मुसीबत,खतरा,अवसाद,डर,और भावनाओ के अभाव को भी दर्शाता है.
(2) सफेद रंग:- यह रंग हर रंग को reflect करता है इसीलिये  सभी रंग एकज़ुट हो कर सफेद  दिखाई पडते हैं.यह रंग साफ,स्वच्छ,निर्मल,शुद्धता और शांति का प्रतीक है.
(3) ग्रे/स्लेटी रंग:- यह रंग energy और confidence के अभाव,डर और अवसाद को सूचित करता है.
 
  Author -विचित्रा अग्रवाल (भज्जनका)