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Tuesday, October 30, 2012

अदरक मे सल्फर बहुत अधिक मात्रा मे है

पुरी पोस्ट नही पढ़ सकते तो यहां click करे ।
http://youtu.be/6VytOKTVRN0
मित्रो बहुत से लोग नशा छोडना चाहते है पर उनसे छुटता नहीं है !बार बार वो कहते है हमे मालूम है ये गुटका खाना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे ???
बार बार लग
ता है ये बीड़ी सिगरेट पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे !??
बार बार महसूस होता है यह शाराब पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब हो जाती है तो क्या करे ! ????

तो आपको बीड़ी सिगरेट की तलब न आए गुटका खाने के तलब न लगे ! शारब पीने की तलब न लगे ! इसके लिए बहुत अच्छे दो उपाय है जो आप बहुत आसानी से कर सकते है ! पहला ये की जिनको बार बार तलब लगती है जो अपनी तलब पर कंट्रोल नहीं कर पाते नियंत्रण नहीं कर पाते इसका मतलब उनका मन कमजोर है ! तो पहले मन को मजबूत बनाओ!

मन को मजबूत बनाने का सबसे आसान उपाय है पहले थोड़ी देर आराम से बैठ जाओ ! आलती पालती मर कर बैठ जाओ ! जिसको सुख आसन कहते हैं ! और फिर अपनी आखे बंद कर लो फिर अपनी दायनी(right side) नाक बंद कर लो और खाली बायी(left side) नाक से सांस भरो और छोड़ो ! फिर सांस भरो और छोड़ो फिर सांस भरो और छोड़ो !

बायीं नाक मे चंद्र नाड़ी होती है और दाई नाक मे सूर्य नाड़ी ! चंद्र नाड़ी जितनी सक्रिये (active) होगी उतना इंसान का मन मजबूत होता है ! और इससे संकल्प शक्ति बढ़ती है ! चंद्र नाड़ी जीतने सक्रिये होती जाएगी आपकी मन की शक्ति उतनी ही मजबूत होती जाएगी ! और आप इतने संकल्पवान हो जाएंगे ! और जो बात ठान लेंगे उसको बहुत आसानी से कर लेगें ! तो पहले रोज सुबह 5 मिनट तक नाक की right side को दबा कर left side से सांस भरे और छोड़ो ! ये एक तरीका है ! और बहुत आसन है !

दूसरा एक तरीका है आपके घर मे एक आयुर्वेदिक ओषधि है जिसको आप सब अच्छे से जानते है और पहचानते हैं ! राजीव भाई ने उसका बहुत इस्तेमाल किया है लोगो का नशा छुड्वने के लिए ! और उस ओषधि का नाम है अदरक ! और आसानी से सबके घर मे होती है ! इस अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! जब भी दिल करे गुटका खाना है तंबाकू खाना है बीड़ी सिगरेट पीनी है ! तो आप एक अदरक का टुकड़ा निकालो मुंह मे रखो और चूसना शुरू कर दो ! और यह अदरक ऐसे अदबुद चीज है आप इसे दाँत से काटो मत और सवेरे से शाम तक मुंह मे रखो तो शाम तक आपके मुंह मे सुरक्षित रहता है ! इसको चूसते रहो आपको गुटका खाने की तलब ही नहीं उठेगी ! तंबाकू सिगरेट लेने की इच्छा ही नहीं होगी शराब पीने का मन ही नहीं करेगा !
बहुत आसन है कोई मुश्किल काम नहीं है ! फिर से लिख देता हूँ !

अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! डिब्बी मे रखो पुड़िया बना के रखो जब तलब उठे तो चूसो और चूसो !
जैसे ही इसका रस लाड़ मे घुलना शुरू हो जाएगा आप देखना इसका चमत्कारी असर होगा आपको फिर गुटका –तंबाकू शराब –बीड़ी सिगरेट आदि की इच्छा ही नहीं होगी ! सुबह से शाम तक चूसते रहो ! और 10 -15 -20 दिन लगातार कर लिया ! तो हमेशा के लिए नशा आपका छूट जाएगा !

आप बोलेगे ये अदरक मैं ऐसे क्या चीज है !????

यह अदरक मे एक ऐसे चीज है जिसे हम रसायनशास्त्र (क्मिस्ट्री) मे कहते है सल्फर !
अदरक मे सल्फर बहुत अधिक मात्रा मे है ! और जब हम अदरक को चूसते है जो हमारी लार के साथ मिल कर अंदर जाने लगता है ! तो ये सल्फर जब खून मे मिलने लगता है ! तो यह अंदर ऐसे हारमोनस को सक्रिय कर देता है ! जो हमारे नशा करने की इच्छा को खत्म कर देता है !

और विज्ञान की जो रिसर्च है सारी दुनिया मे वो यह मानती है की कोई आदमी नशा तब करता है ! जब उसके शरीर मे सल्फर की कमी होती है ! तो उसको बार बार तलब लगती है बीड़ी सिगरेट तंबाकू आदि की ! तो सल्फर की मात्रा आप पूरी कर दो बाहर से ये तलब खत्म हो जाएगी ! इसका राजीव भाई ने हजारो लोगो पर परीक्षण किया और बहुत ही सुखद प्रणाम सामने आए है ! बिना किसी खर्चे के शराब छूट जाती है बीड़ी सिगरेट शराब गुटका आदि छूट जाता है ! तो आप इसका प्रयोग करे !

और इसका दूसरे उपयोग का तरीका पढे !

अदरक के रूप मे सल्फर भगवान ने बहुत अधिक मात्रा मे दिया है ! और सस्ता है! इसी सल्फर को आप होमिओपेथी की दुकान से भी प्राप्त कर सकते हैं ! आप कोई भी होमिओपेथी की दुकान मे चले जाओ और विक्रेता को बोलो मुझे सल्फर नाम की दावा देदो ! वो देदेगा आपको शीशी मे भरी हुई दावा देदेगा ! और सल्फर नाम की दावा होमिओपेथी मे पानी के रूप मे आती है प्रवाही के रूप मे आती है जिसको हम Dilution कहते है अँग्रेजी मे !

तो यह पानी जैसे आएगी देखने मे ऐसे ही लगेगा जैसे यह पानी है ! 5 मिली लीटर दवा की शीशी 5 रूपये आती है ! और उस दवा का एक बूंद जीभ पर दाल लो सवेरे सवेरे खाली पेट ! फिर अगले दिन और एक बूंद डाल लो ! 3 खुराक लेते ही 50 से 60 % लोग की दारू छूट जाती है ! और जो ज्यादा पियाकड़ है !जिनकी सुबह दारू से शुरू होती है और शाम दारू पर खतम होती है ! वो लोग हफ्ते मे दो दो बार लेते रहे तो एक दो महीने तक करे बड़े बड़े पियकरों की दारू छूट जाएगी !राजीव भाई ने ऐसे ऐसे पियकारों की दारू छुड़ाई है ! जो सुबह से पीना शुरू करते थे और रात तक पीते रहते थे ! उनकी भी दारू छूट गई बस इतना ही है दो तीन महीने का समय लगा !

तो ये सल्फर अदरक मे भी है ! होमिओपेथी की दुकान मे भी उपलब्ध है ! आप आसानी से खरीद सकते है !लेकिन जब आप होमिओपेथी की दुकान पर खरीदने जाओगे तो वो आपको पुछेगा कितनी ताकत की दवा दूँ ??!
मतलब कितनी Potency की दवा दूँ ! तो आप उसको कहे 200 potency की दवा देदो ! आप सल्फर 200 कह कर भी मांग सकते है ! लेकिन जो बहुत ही पियकर है उनके लिए आप 1000 Potency की दवा ले !आप 200 मिली लीटर का बोतल खरीद लो एक 150 से रुपए मे मिलेगी ! आप उससे 10000 लोगो की शराब छुड़वा सकते हैं ! मात्र एक बोतल से ! लेकिन साथ मे आप मन को मजबूत बनाने के लिए रोज सुबह बायीं नाक से सांस ले ! और अपनी इच्छा शक्ति मजबूत करे !!!


अब एक खास बात !

बहुत ज्यादा चाय और काफी पीने वालों के शरीर मे arsenic तत्व की कमी होती है !
उसके लिए आप arsenic 200 का प्रयोग करे !

गुटका,तंबाकू,सिगरेट,बीड़ी पीने वालों के शरीर मे phosphorus तत्व की कमी होती है !
उसके लिए आप phosphorus 200 का प्रयोग करे !

और शराब पीने वाले मे सबसे ज्यादा sulphur तत्व की कमी होती है !
उसके लिए आप sulphur 200 का प्रयोग करे !!

सबसे पहले शुरुवात आप अदरक से ही करे !!

आपने पूरी पोस्ट पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !
अमर शहीद राजीव दीक्षित जी की जय !

वन्देमातरम !

एक बार यहाँ जरूर click करे !

http://youtu.be/6VytOKTVRN0


वन्देमातरम !

एसिडिटी का आयुर्वेदिक उपचार ::

एसिडिटी का आयुर्वेदिक उपचार ::

एसिडिटी क्या होती है?

हम जो खाना खाते हैं, उसका सही तरह से पचना बहुत ज़रूरी होता है। पाचन की प्रक्रिया में हमारा पेट एक ऐसे एसिड को स्रावित करता है जो पाचन के लिए बहुत ही ज़रूरी होता है। पर कई बार यह एसिड आव
श्यकता से अधिक मात्रा में निर्मित होता है, जिसके परिणामस्वरूप सीने में जलन और फैरिंक्स और पेट के बीच के पथ में पीड़ा और परेशानी का एहसास होता है। इस हालत को एसिड

िटी या एसिड पेप्टिक रोग के नाम से जाना जाता है ।

एसिडिटी होने के कारण

एसिडिटी के आम कारण होते हैं, खान पान में अनियमितता, खाने को ठीक तरह से नहीं चबाना, और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना इत्यादि। मसालेदार और जंक फ़ूड आहार का सेवन करना भी एसिडिटी के अन्य कारण होते हैं। इसके अलावा हड़बड़ी में खाना और तनावग्रस्त होकर खाना और धूम्रपान और मदिरापान भी एसिडिटी के कारण होते हैं। भारी खाने के सेवन करने से भी एसिडिटी की परेशानी बढ़ जाती है। और सुबह सुबह अल्पाहार न करना और लंबे समय तक भूखे रहने से भी एसिडिटी आपको परेशान कर सकती है।

एसिडिटी के लक्षण
• पेट में जलन का एहसास
• सीने में जलन
• मतली का एहसास
• डीसपेपसिया
• डकार आना
• खाने पीने में कम दिलचस्पी
• पेट में जलन का एहसास

एसिडिटी के आयुर्वेदिक उपचार
• अदरक का रस: नींबू और शहद में अदरक का रस मिलाकर पीने से, पेट की जलन शांत होती है।
• अश्वगंधा: भूख की समस्या और पेट की जलन संबधित रोगों के उपचार में अश्वगंधा सहायक सिद्ध होती है।
• बबूना: यह तनाव से संबधित पेट की जलन को कम करता है।
• चन्दन: एसिडिटी के उपचार के लिए चन्दन द्वारा चिकित्सा युगों से चली आ रही चिकित्सा प्रणाली है। चन्दन गैस से संबधित परेशानियों को ठंडक प्रदान करता है।
• चिरायता: चिरायता के प्रयोग से पेट की जलन और दस्त जैसी पेट की गड़बड़ियों को ठीक करने में सहायता मिलती है।
• इलायची: सीने की जलन को ठीक करने के लिए इलायची का प्रयोग सहायक सिद्ध होता है।
• हरड: यह पेट की एसिडिटी और सीने की जलन को ठीक करता है ।
• लहसुन: पेट की सभी बीमारियों के उपचार के लिए लहसून रामबाण का काम करता है।
• मेथी: मेथी के पत्ते पेट की जलन दिस्पेप्सिया के उपचार में सहायक सिद्ध होते हैं।
• सौंफ:सौंफ भी पेट की जलन को ठीक करने में सहायक सिद्ध होती है। यह एक तरह की सौम्य रेचक होती है और शिशुओं और बच्चों की पाचन और एसिडिटी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए भी मदद करती है।

आयुर्वेद की अन्य औषधियां

अविपत्तिकर चूर्ण, वृहत पिप्पली खंड, खंडकुष्माण्ड अवलेह, शुन्ठिखंड, सर्वतोभद्र लौह, सूतशेखर रस, त्रिफला मंडूर, लीलाविलास रस, अम्लपित्तान्तक रस, पंचानन गुटिका, अम्लपित्तान्तक लौह जैसी आयुर्वेदिक औषधीयाँ एसिडिटी कम करने में उपयोगी होती हैं लेकिन इनका प्रयोग निर्देशानुसार करें I

एसिडिटी के घरेलू उपचार:
• विटामिन बी और ई युक्त सब्जियों का अधिक सेवन करें।
• व्यायाम और शारीरिक गतिविधियाँ करते रहें।
• खाना खाने के बाद किसी भी तरह के पेय का सेवन ना करें।
• बादाम का सेवन आपके सीने की जलन कम करने में मदद करता है।
• खीरा, ककड़ी और तरबूज का अधिक सेवन करें।
• पानी में नींबू मिलाकर पियें, इससे भी सीने की जलन कम होती है।
• नियमित रूप से पुदीने के रस का सेवन करें ।
• तुलसी के पत्ते एसिडिटी और मतली से काफी हद तक राहत दिलाते हैं।
• नारियल पानी का सेवन अधिक करें

Tuesday, October 16, 2012

हिन्दी में शुद्ध टायप कैसे करें ?

1 - हु के बजाय -  हूँ लिखने के लिये । hoo इससे हू लिख जायेगा । इसके बाद shift बटन दबाये रखकर  ऊपर सबसे कोने में  esc की के ठीक नीचे वाली की  ( ‘ ~) दबा दें । इससे इस तरह ( हू~ ) का लिखा दिखाई देगा । इसके बाद shift से बस उंगली उठाकर । फ़िर से shift  दबाकर m दबायें । हूँ लिख जायेगा ।
2 - अक्सर लोग बङे ऊ की मात्रा नहीं लगा पाते । और पूछना की जगह पुछना लिख देते हैं । यह बहुत आसान हैं । pu की बजाय poo लिखें । या p लिखने की बाद shift दबाये रखकर U दबा दें । पू लिख जायेगा ।
3 - मै या मे पर । या कहीं ( जैसे इस कहीं में ही लगी है ) भी बिन्दी लगाने के लिये mai = मै । इसके  बाद  वही shift दबाये रखकर m दबा दें । मैं लिख जायेगा ।
4 - सबसे महत्वपूर्ण बात लोग पूर्ण विराम लगाना नहीं जानते । और इसकी जगह डाट (  . ) का प्रयोग कर देते हैं । ये भी आसान है । इसके लिये बस shift की दबाये रखकर enter के ठीक ऊपर ( \ ) इस निशान वाली की दबा दें । पूर्ण विराम ( । ) लग जायेगा ।
5 - ॐ लिखने के लिये - सीधा सीधा oum लिखें ।
6 - ऋ लिखने के लिये - shift दबाकर r । इसके बाद shift छोङकर u दबा दें ।
7 - क्ष लिखने के लिये - पहले k इसके बाद shift दबाकर s । इसके बाद सादा ही यानी shift छोङकर h दबायें ।
8 - छ लिखने के लिये - सीधा सीधा shift दबाये रखकर c दबा दें ।
9 - ई लिखने के लिये - shift दबाये रखकर i दबा दें ।
10 - किसी भी शब्द में  ँ ( चन्द्र बिन्दी ) लगाने के लिये shift दबाये रखकर esc के ठीक नीचे ( ~ ‘ ) निशान वाली की दबायें । इसके बाद shift से उँगली उठाकर फ़िर से shift दबाये रखकर m दबा दें ।
11 - ङ न लिख पाने के कारण लोग ड लिख देते हैं । इसके लिये shift दबाये रखकर esc के ठीक नीचे ( ~ ‘ ) इस निशान वाली की दबायें । इसके बाद shift छोङकर g  दबा दें । ङ लिख जायेगा ।
12 - ढ लिखने के लिये shift दबाये रखकर d उसके बाद shift छोङकर सादा h दबायें ।
13 - लेंग्वेज बदलने के लिये । यानी इंगलिश से हिन्दी । हिन्दी से इंगलिश के लिये ।  मेरे साफ़्टवेयर " बाराह पैड " में F11 की का इस्तेमाल होता है । हिन्दी में टायप करते हुये जब मुझे english शब्द लिखने की आवश्यकता होती है । तो मैं F11 की दबा देता हूँ । इसके बाद फ़िर हिन्दी करने के लिये पुनः F11  की दबा देता हूँ ।
14 - ध्यान दें । जब आपका हिन्दी टूल एक्टिव होगा तो पूर्ण विराम ( । ) इस तरह लगेगा । और कुछ लोग गलती से इंगलिश टूल एक्टिव ( टूल से मतलब आप कौन सी भाषा में टायप कर रहे हैं ) स्थिति में पूर्ण विराम लगाते है । वह कुछ इस तरह का ( | )  लगेगा ।
15 - ओ लिखने के लिये सीधा सीधा o दबायें ।
16 - औ लिखने के लिये ou दबायें । औ की मात्रा के लिये भी अक्षर के बाद ou  दबायें । जैसे कौन में k के बाद ou ।
17 - ण लिखने के लिये shift दबाये रखकर n दबा दें । ण लिख जायेगा ।
18 - द्ध - युद्ध क्रुद्ध आदि शब्दों में इस तरह का द्ध का अक्षर जोङने के लिये ddh दबायें ।
19 - वृ - अक्सर अच्छे अच्छे लोग इस  ( बृ ) र को नहीं लगा पाते । और इसकी जगह ब्र या व्र या क्र इस तरह अशुद्ध लिखते हैं । इसके लिये जिस अक्षर में ये र लगाना है । उसको लिखकर । उसके बाद shift दबाये रखकर r और उसके बाद सादा u दबायें ।
20 - ष लिखने के लिये shift दबाये रखकर s और उसके बाद h दबा दें । ष लिख जायेगा ।
21 - हिन्दी टायपिंग में shift का बेहद महत्व और उपयोग है । इसलिये टायपिंग में स्पीड बङाने के लिये । शुद्ध लिखने के लिये । shift दबाये रखकर सभी की को दबाकर देखें । क्या बदलाव होता है ।
22 - द्वार आदि में ऐसा व जोङने के लिये dw यानी द्व । kw यानी क्व आदि लिखते हैं ।


विशेष - ये लेख अभी पूर्ण न समझें । मुझे तो क्योंकि हिन्दी टायप अच्छी तरह से आती है । अतः मुझे अन्दाजा नहीं हो पाता कि आपको कौन से शब्द लिखने में दिक्कत आती है ? अतः आपके द्वारा कमेंट में पूछी गयी बात । और आपके ई मेल आदि से अशुद्धियों कठिनाईयों को जानकर । वो जानकारी मैं इसी लेख में जोङता रहूँगा ।


जिन पाठकों ने अभी भी " बाराह हिन्दी पैड " डाउनलोड नहीं किया । वो निम्न तरीके से कर सकते हैं ।
अपने कम्प्यूटर में " बाराह हिन्दी पैड " BARAHA HINDI PAID मुफ़्त साफ़टवेयर डाउनलोड कर लें । इसके लिये आप गूगल सर्च में BARAH HINDI PAID टायप करें । और सही साईट सिलेक्ट करके ये साफ़टवेयर डाउनलोड कर लें ।
या इस साफ़्टवेयर को डाउनलोड करने के लिये यहाँ पर क्लिक करें । और ध्यान रहे । फ़्री वाला ही चुनें । BUY NOW वाला नहीं । वैसे साइट और पेज का पता यह है । http://www.baraha.com/download.htm
इस पर भी यहीं से क्लिक करके सीधे वहाँ जा सकते हो ।
 इससे आपका " THEEK ISEE TARAH.. ठीक इसी तरह "  लिखा मैटर हिन्दी में बदल जायेगा । मतलव आप पेज में rajeev ye bataaiye लिखोगे । तो वह अपने आप बदलकर " राजीव ये बताईये " ही लिखेगा

Sunday, October 14, 2012

सङी सङाई रोटी बङे मजे लेकर खाते हो

भारत में जीवन को चलाने के लिए जितनी जरूरत की चीजें होती हैं । वो हर समान हर जगह होती हैं । Indian Council for Agricultural Research ( ICAR ) के दस्तावेज के अनुसार भारत में 14 785 वस्तुएं होती हैं । ये भारत की सभी राज्यों में एकसमान होती हैं  । और भारत के उन शहरों या गाँव को बाहर से केवल नमक मंगाना पड़ता है । बाकी हर जरूरत की चीज उसी राज्य में हो जाती हैं ।
ज्यादातर लोग आज की बनी रोटी कल खाना पसंद नहीं करेंगे । कुछ तो ऐसे भी है । जो सुबह की बनी रोटी शाम को भी नहीं खाते । अब मैं अगर आपसे बोलूँ कि - आज रोटी बनाकर उसको पालिथीन में पैक कर देता हूँ । उसको 4 दिन बाद खाने को कौन राजी होगा ?
आप सोच रहे होंगे कि - क्या बेतुकी बातें कर रहा हूँ । अब जरा सोचो कि - आटे को सड़ाकर बनाई हुई ब्रेड और पाव रोटी । जो पता नहीं ? कितने दिन पहले की बनी हुई है । उसको इतना मजे लेकर क्यों खाते हो ? क्यों बर्गर और ब्रेड पकौड़ा खाते वक्त ये बातें दिमाग में नही आती हैं ? 
अगर हम ताजा रोटी खाने की परम्परा को दकियानुसी मान कर 4-5 दिन पहले बनी बासी रोटी खाने को अपनी शान समझते है । तो हम पढ़े लिखे मूर्खो के सिवा और कुछ नही हैं । यूरोप के गधों के पीछे आँख बंद कर चलने वाली भेड़ चाल को हमें छोड़ना ही होगा । यूरोप और अमेरिका में चूँकि मौसम की अनुकूलता नहीं है । साल में 9 महीने ठण्ड पड़ती है । और उनके यहाँ कभी भी बारिश हो जाती है । और बर्फ भी बहुत पड़ती है 

। धुप का दर्शन तो साल में 300 दिन होता ही नहीं है । इसके अलावा उनके कृषि क्षेत्र में कुछ होता नहीं है । कुल मिलाकर 2 ही चीजें होती हैं - आलू और प्याज । और थोडा बहुत गेंहू । यूरोप में ब्रेड खाना उनकी मज़बूरी है । वहाँ का तापमान इतना कम रहता है कि - रोटी बनाना संभव ही नही है । आटा गूँथने के लिए पानी चाहिए । लेकिन वहाँ 6 महीने तो बर्फ जमी रहती है । इसीलिए वहाँ ब्रेड बनाई जाती है । जिसमें आटा गूँथने की जरुरत नहीं होती है । आटे को सड़ाकर ब्रेड बना दी जाती है । और अत्यंत कम तापमान की वजह से वो 4-5 दिनों तक खराब नही होती है । भारतीय जलवायु के हिसाब से ब्रेड उचित नहीं है । भारतीय जलवायु में ब्रेड जैसे नमी युक्त खाद्य पदार्थ जल्दी खराब होते हैं । तापमान बहुत कम होने के कारण उनके शरीर में मैदे से बनी ब्रेड पच जाती है । पर भारत में तापमान बहुत अधिक होता है । जो भारतीयों के लिये सही नहीं । इससे कब्ज की

शिकायत होती है । और कब्ज होने से सैंकडों बीमारियां लगती है । हजारों सालों से भारत में ताजे आटे को गूंथकर ही रोटी बनाई और खाई जाती है । हमारे पूर्वज इतने तो समझदार थे । जो उन्होने ब्रेड आदि खाना शुरू नहीं किया । तो आप भी समझदार बनिये ।
यही हाल टमाटर की चटनी का है । इसीलिए सभी राष्ट्र भक्त भाई बहनों से निवेदन है कि - ब्रेड । पाव रोटी । सौस जैसी चीजों से बने खाद्य पदार्थ का पूरी तरह से बहिष्कार करें । और अन्य को भी प्रेरित करें ।
- भाई राजीव दीक्षित जी
♥♥♥♥
5 Spices That Help, Heal For better Digestion ~
1.Black Pepper 2.Cardamon 3.Coriander 4.Cumin 5.Turmeric
♥♥♥♥
पेट एवं छाती में जलन होना । अर्थात खट्टी डकारें आना । अर्थात एसिडिटी से छुटकारा पाने के निम्नलिखित बिंदुओं पर अमल करें ।

1-  4-5 गिलास गरम कुनकुना पानी ( खड़े खड़े नहीं बैठकर ) जल्दी जल्दी पियें । फिर सीधे हाथ की ऊँगलियों से जिह्वा ( जीभ ) को रगड़ रगड़ कर उल्टी वमन करें । यह क्रिया पानी पी पीकर तब तक दोहराएँ। जब तक कि वमन के पानी में खट्टापन समाप्त न हो जाये ।
2 रोजाना प्रातःकाल सोकर उठते ही शौच निवृत्ति के पूर्व बिना मंजन कुल्ला किये 1 से 4 गिलास गरम कुनकुना पानी पीना चाहिये ।
3 एरिएटेड ठंडे पेय । चाय एवं काफी से पूर्णतया परहेज रखें । इनके स्थान पर - हर्बल टी । हर्बल पेय का सेवन करें ।
4 तीखे मिर्च मसाले । सिरका । चटनी । अचार । तले भुंजे । रिफाइंड अर्थात बारीक पिसे हुये भोज्य पदार्थों के सेवन से बचें । इनके स्थान पर दरदरा भोजन । चित्तीदार केला । ककड़ी का नियमित रूप से सेवन करें ।
5 एसिडिटी से बचने के लिये नारियल पानी पीना भी अति उत्तम है ।

6 रोजाना 1 गिलास ताजे दुहे हुये अथवा ठंडे दूध का सेवन करना भी एसिडिटी में काफी लाभप्रद होता है ।
7 दिन भर में ग्रहण की जाने वाली भोजन की कुल मात्रा । जो कि दिन में 1-2 या 3 बार में ग्रहण की जाती हो । ऐसी कुल मात्रा को घटाकर आधा या तीन चौथाई करें । व साथ ही साथ इस घटी हुई मात्रा को  3-3 अथवा 4-4 घंटे के अन्तर से दिन भर में 4 से 5 बार में ।  छोटी छोटी किश्तों में ।  ग्रहण करें । रात का अंतिम भोजन हल्का सुपाच्य । व सोने के कम से कम 2-3 घंटे पूर्व कर लेना चाहिये ।

8 भोजन करने के बाद 4-5 पोदीने की पत्तियों के उबले हुये 1 गिलास पानी का सेवन करें ।
9 भोजन के बाद 1 लौंग मुँह में रखकर चूसें ।
10 गुड़ । शहद । नींबू । पानी । व रात भर के गले हुये 4-5 बादाम आदि का सेवन भी लाभप्रद होता है ।
11 तंबाखू । गुटखा । बीड़ी । सिगरेट । धूमृपान । गाँजा । भांग । शराब आदि किसी भी प्रकार का नशा एवं किसी भी प्रकार का माँसाहार । मछली । अंडे आदि का घातक सिद्ध होता है ।
12 ठोस अथवा तरल किसी भी प्रकार के भोज्य पदार्थ को अच्छी तरह चबा चबा कर ग्रहण करें । अर्थात Eat the liquids & drink the solids .
13 भोजन में जिस रूप में भी हो सके । अदरक का सेवन अवश्य करें ।
14 किसी भी प्रकार के गरिष्ठ भोजन के सेवन से बचें । तथा इनके स्थान पर हरी साक भाजी । ताजे फल व सब्जियों व हल्के सुपाच्य भोजन का सेवन करें । भोजन के साथ किसी भी

प्रकार के फल एवं शक्कर की मिठाई का सेवन न करें ।

हिन्‍दुओं साहसी और वीर बनों,

हिन्‍दुओं साहसी और वीर बनों, भगवान को वीर ही प्‍यारा लगता है

मुठ्ठी भर मुसलमानों ने चटा दी हिन्दुस्तान को धूल इस्लाम के अनुसार हिन्दुओं का सबसे बड़ा दोष यह है कि वह काफ़िर हैं. इसलिये इस्लाम के अनुसार काफ़िरों के लिये सिर्फ़ दो ही रास्ते हैं. या तो वे मुस्लमान बन जायें अथवा जलील करके मार ड़ाले जायें. कुरान मजीद में अल्लाह के इन्हीं आदेशों को मानकर मोहम्मद बिन कासिम ने सन् 712 में सिन्ध के राजा को मारकर हिन्दुस्तान की बरबादी की नीव रखी. जिससे प्रेरित होकर महमूद गजनवी ने 17 बार लाखों हिन्दुओं को मारा काटा. सोमनाथ मंदिर को लूटते और तोड़ते समय 50,0000 हिन्दुओं की हत्या की. (जिसका कारण हिन्दुओं की कायरता और जरुरत से ज्यादा अन्धविश्वास था. वह हिन्दु यही सोचते रहे की भगवान उन्हें धरती पर बचाने आयेगा इसिलिये उन्होंने कातिलों का सामना नही किया और मूली-गाजर की तरह काट ड़ाले गये. यदि उसी समय हिन्दुओं ने उन मुल्लों का डट कर सामना किया होता तो इतिहास कुछ और होता) महमूद गजनवी और उसके सैनिकों ने सोने और हीरे जवाहरातों से ढ़के हुये शिवलिंग को तोड़ दिया.. लूट-पाट मचाई और अपने सैनिकों के साथ मौत का ऐसा तांड़व खेला की सारा सोमनाथ शहर वीरान हो गया. सन् 1122 में मुहम्मद शहाबुद्दीन गोरी ने तराइन के मैदान में पृथ्वीराज चौहान की हत्या करके मौत का तांड़व खेला (इसमें में मुझे पृथ्वीराज चौहान की अदूरदर्शिता ही दिखती है.

अगर पृथ्वीराज चौहान ने पहली बार में ही गोरी का सफ़ाया कर दिया होता तो पक्का इतिहास कुछ और होता. तो फ़िर कोई मुल्ला जल्दी से हिन्दुस्तान की तरफ़ नजर उठाने की हिम्मत न करता) मोहम्मद गोरी का साथ देने वाला जयचन्द भी गोरी के ही हाथों मारा गया. मुहम्मद गोरी की अगुआई में मुसलमानों ने कन्नौज से लेकर बनारस तक को लूटा और साथ-साथ हिन्दुओं का कत्लेआम किया. राजा जयचन्द्र की एक पत्नी सुहागदेवी ने मोहम्मद गोरी का साथ दिया था. बदले में गोरी ने सुहाग देवी से वादा किया था कि युद्ध जीतने के बाद वह उसके पुत्र को कन्नौज का राजा बना देगा. जब मोहम्मद गोरी जयचन्द्र का राज्य कन्नौज जीतकर हिन्दुओं को मारता, काटता, लूटता बनारस पहुँचा, तो शहर के फ़ाटक पर अपने पुत्र के साथ सुहाग देवी ने मोहम्म्द गोरी का स्वागत करते हुये अपना परिचय दिया. गोरी ने सुहादेवी को कैद कर लिया और उसके पुत्र को राजा बनाने के स्थान पर मुसलमान बना दिया. मुहम्मद गोरी के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश,बलबन, अलाउद्दीन खिलजी,फ़िरोजतुगलक,सिकन्दर लोधी,तथा बाबर से लेकर औरंगजेब,अहमदशाह अब्दाली आदि बादशाहों ने हिन्दुओं का भयंकर कत्लेआम किया. सन् 1316 में तैमूर लंग कैदी बनाये गये. लगभग एक लाख हिन्दुओं को कुछ ही घंटों में मौत के घाट उतार दिया गया तथा दिल्ली से लेकर हरिद्वार तक अपने घोड़े दौड़ाये, रास्ते में पड़ने वाली हिन्दु बस्तियाँ लूट ली गयी. सन् 1731 में नादिरशाह ने दिल्ली में पाँच घंटे में डेढ़ लाख हिन्दु गाजर, मूली की तरह कटवाकर फ़ेंकवा दिया. सन् 1556 में पानीपत के मैदान में अकबर से जब हेमू (हेमचन्द्र) हार गया तो बैराम खाँ हेमू को पकड़कर अकबर के सामने लाया और अकबर से कहा कि जहाँपनाह अपनी तलवार से इस काफ़िर हिन्दु का सिर धड से अलगकर आप गाजी की उपाधी धारण करें. अकबर ने अपनी तलवार से हेमू का सिर काटकर गाजी की उपाधी धारण की. औरंगजेब ने गोकुल जाट के सिर और धड के टुकडे-टुकडे करके चील, कौवों को खाने के लिये आगरे की कोतवाली के चबूतरे पर फ़ेंकवा दिया.

गोकुल जाट के पूरे परिवार को तथा उसके हजारो साथियों को जबरदस्ती मुसलमान बना लिया गया. औरंगजेब ने शिवाजी के पुत्र शम्भा की आखें निकलवा ली और शम्भा जी के शरीर के टुकड़े-टुकड़े करके कुत्तों को खिलवा दिया. औररंगजेब ने हिन्दुओं को बड़ी क्रूरता से कुचल दिया. हिन्दुओं की रक्षा करने वाले गुरु तेग बहादुर सिंह की हत्या करवा दी. गुरु गोविन्द सिंह के दो पुत्रों की हत्या करवा दी और दो को जिन्दा ही चुनवा दिया. बाद में गुरु गोविन्द सिंह की हत्या भी एक मुसलमान पठान ने कर दी. गुरु गोविन्द सिंह के शिष्य बंदा बैरागी को बादशाह फ़रुखशियार ने गिरफ़्तार करवा कर मुसलमान बन जाने को कहा. जब बंदा बैरागी ने मुसलमान बनना स्वीकार नही किया तो बंदा बैरागी और उनके सैकडों सैनिकों का बड़ी बेरहमी से कत्ल कर दिया गया. मतिराम को आरे से चिरवाया गया, कुछ को खोलते तेल में ड़ालकर मारा गया तथा कई रुई के बंड़ल में लपेटकर जला दिया गया. सिख गुरुओं पर भयंकर जुल्म किये गये. वास्तव में यह सभी बादशाह केवल कुरान मजीद के आदेशों का पालन कर रहे थे.. और यह कोई मुल्लों शौर्य की गाथा नही हिन्दुओं की बेवकूफ़ी, कायरता, अंधविश्वास और अत्यधिक दयालुता वाले स्वभाव की गाथा है. हिन्दुओं के साथ इतनी त्रास्दी होने के बाद भी हिन्दुओं ने अपने इतिहास से कोई सबक नही लिया. अगर आज भी हिन्दु नही समहले और ये ऊँच-नीच जैसे ढ़कोसलों को मानते हुये अपने धर्म के उदासीन बने रहेंगे तो वह समय दूर नही जब हिन्दुस्तान फ़िर से मुल्लास्थान बन जाये...

इसलिये मेरा हिन्दुओं से आग्रह है की अब तो जागो और हिन्दु एकता को बढ़ावा दो.गर्व से बो ले हम एक है. किसी चमत्कार की उम्मीद न करें की भगवान आपको बचाने आयेगा. जान लो भगवान भी उसी का साथ देता है जो खुद अत्याचार का सामना करने के लिये आगे आता है. आत्म रक्षा ही सबसे बड़ा धर्म है. इसी उद्देश्य से निकाल दो हिन्दु समाज से शूद्र या दलित जैसे शब्द. भूल जाओ अव्यवहारिक अहिंसा को. मिटा दो अतिसहिष्णुता को और गर्व से बोलों हम हिन्दु हैं.. यह गाल पिटे वह गाल बढ़ाओ, यह तो आर्यों की नीति नही अन्यायी से प्रेम अहिंसा, यह तो गीता की नीति नही हे राम बचाओ जो कहता है, वह कायर है, खुद अपना हत्यारा है जो करे वीरता अति साहस वही राम का प्यारा है!

Saturday, October 13, 2012

दूध पीने के नियम

दूध पीने के नियम - बोर्नविटा हार्लिक्स के विज्ञापनों के चलते माताओं के मन में यह बैठ जाता है कि बच्चों को ये सब डाल कर 2 कप दूध पिला दिया ।

बस हो गया । चाहे बच्चे दूध पसंद करें । ना करें । उल्टी करें । वे किसी तरह ये पिला कर ही दम लेती हैं । फिर भी बच्चों में कैल्शियम की कमी । लम्बाई न बढना इत्यादि समस्याएँ देखने में आती हैं । आयुर्वेद के अनुसार दूध पीने के कुछ नियम हैं ।  
- सुबह सिर्फ काढ़े के साथ दूध लिया जा सकता है ।
- दोपहर में छाछ पीना चाहिए । दही की प्रकृति गर्म होती है । जबकि छाछ की ठंडी ।
- रात में दूध पीना चाहिए । पर बिना शक्कर के । हो सके तो गाय का घी १- २ चम्मच डाल कर लें । दूध की अपनी प्राकृतिक मिठास होती है । वो हम शक्कर डाल देने के कारण अनुभव ही नहीं कर पाते ।

- एक बार बच्चे अन्य भोजन लेना शुरू कर दें । जैसे - रोटी । चावल । सब्जियां । तब उन्हें गेंहूँ । चावल और सब्जियों में मौजूद कैल्शियम प्राप्त होने लगता है । अब वे कैल्शियम के लिए सिर्फ दूध पर निर्भर नहीं ।
- कपाल भांति । प्राणायाम । और नस्य लेने से बेहतर कैल्शियम एब्ज़ोर्प्शन होता है । और कैल्शियम । आयरन । और विटामिन्स की कमी नहीं हो सकती । साथ ही बेहतर शारीरिक और मानसिक विकास होगा ।  - दूध के साथ कभी भी नमकीन या खट्टे पदार्थ ना लें । त्वचा विकार हो सकते हैं ।
- बोर्नविटा । कॉम्प्लान । या हार्लिक्स । किसी भी प्राकृतिक आहार से अच्छे नहीं हो सकते ।  इनके लुभावने विज्ञापनों का कभी भरोसा मत करिए । बच्चों को खूब - चने । दाने । सत्तू । मिक्स्ड आटे के लड्डू खिलाइए । - प्रयत्न करे कि 

देशी गाय का दूध लें । - जर्सी या दोगली गाय से भैंस का दूध बेहतर है ।
- दही अगर खट्टा हो गया हो । तो भी दूध और दही ना मिलायें । खीर और कढ़ी एक साथ न खायें । खीर के साथ नमकी्न पदार्थ न खायें । - अधजमे दही का सेवन ना करें । - चावल में दूध के साथ नमक ना डालें ।
- सूप में । आटा भिगोने के लिये । दूध इस्तेमाल न करें ।
- द्विदल यानी कि दालों के साथ दही का सेवन विरुद्ध आहार माना जाता है । अगर करना ही पड़े । तो दही को हींग जीरा की बघार देकर उसकी प्रकृति बदल लें । - रात में दही या छाछ का सेवन न करें ।

Sunday, October 07, 2012

अगस्ता से उपचार:

अगस्ता से उपचार:

परिचय :अगस्ता का वृक्ष बड़ा होता है। बगीचों और खुदाई की हुई जगहों में यह उगता है। अगस्ता की दो जातियां होती हैं। पहले का फूल सफेद होता है तथा दूसरे का लाल होता है। अगस्ता के पत्ते इमली के पत्तों के समान होते हैं। अगस्ता के 
वृक्ष पर लगभग एक हाथ लम्बी और बोड़ा की मोटी फलियों की तरह फलियां लगती है। इनका शाक बनाया जाता है। फूल भी साग-सब्जी बनाने के काम में आता है। पत्तों का भी शाक बनाया जाता है।
विभिन्न भाषाओ में नाम :
संस्कृत अगस्त्य,
मुनिद्रुम।
हिंदी अगस्तिया, अगस्त।
बंगला बक।
गुजराती अगिस्थ्यों।
मराठी अगस्ता, अगस्था,अगसे िडा।
कनाड़ी अगसेयमरनु चोगची।
पंजाबी हथिया
तामिल अक्कं, अर्गति, अगति।
तैलिंगी अविसि, अवीसे।
मलयमल अगठी।
अंग्रेजी सेसबंस
लैटिन ऑगटि ग्लांडिफलोरा
रंग : अगस्ता के फूलों का रंग गुलाबी व सफेद होता है।
स्वाद : इसका स्वाद फीका होता है।
स्वभाव : अगस्ता की प्रकृति सर्द व खुश्क प्रकृति की होती है।
हानिकारक : अगस्ता का अधिक मात्रा में सेवन से पेट में गैस बनती है।
गुण : यह शीतल, मधुर और त्रिदोष (वात्, वित्त और कफ) नाशक होता है। खांसी, फुन्सियां, पिशाच-बाधा तथा चौथिया बुखार का नाश करता है।

विभिन्न रोगों में अगस्ता से उपचार:

1 शीत, मस्तक-शूल और चतुर्थिक ज्वर :- अगस्त के पत्तों के रस की बूंदे नाक में डालने से शीत, मस्तक दर्द और चौथिया के बुखार में आराम होगा।

2 आधाशीशी (आधे सिर का दर्द) :- इस रोग में जिस ओर सिर में दर्द होता हो, उसके दूसरी तरफ की नाक में अगस्त के फूलों अथवा पत्तों की 2-3 बूंदे रस को टपकाने से तुरंत लाभ होता है। इससे कफ निकलकर आधाशीशी का नाश होता है।

3 कफ विकार:- लाल अगस्त की जड़ अथवा छाल का रस निकालकर शक्ति के अनुसार 10 ग्राम से 20 ग्राम की मात्रा का सेवन करें। यह औषधि यदि बालकों को देनी हो, तो केवल इसके पत्ते का 5 बूंद रस निकालकर शहद के साथ पिलायें। यदि दवा का असर अधिक हो, तो मिश्री को पानी में घोलकर पिलायें।

4 सूजन:- लाल अगस्त और धतूरे की जड़ को साथ-साथ गरम पानी में घिसकर उसका लेप करना चाहिए। इससे तुरंत ही सभी प्रकार की सूजन का नाश होता है।

5 जुकाम से नाक रुंघन एवं सिर दर्द:- अगस्त के पत्तों का दो बूंद रस नाक में टपकाना चाहिए।

6 मिर्गी:- *अगस्त के पत्तों का चूर्ण और कालीमिर्च के चूर्ण को बराबर मात्रा में लेकर गोमूत्र के साथ बारीक पीसकर मिर्गी के रोगी सुंघाने से लाभ होता है।
*यदि बालक छोटा हो तो इसके 2 पत्तों का रस और उसमें आधी मात्रा में कालीमिर्च मिलाकर उसमें रूई का फोया तरकर उसे नासारंध्र के पास रखने से ही अपस्मार (मिर्गी) शांत हो जाता है। "

7 प्रतिश्याय (जुकाम):- जुकाम के वेग से सिर बहुत भारी तथा दर्द हो तो अगस्त के पत्तों के रस की 2-4 बूंदे नाक में टपकाने से तथा इसकी जड़ का रस 10 से 20 ग्राम तक शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार चाटने से कष्ट दूर हो जाता है।

8 आंखों के विकार :- *अगस्त के फूलों का रस 2-2 बूंद आंखों में डालने से आखों का धुंधलापन मिटता है।
*अगस्त के फूलों की सब्जी या शाक बनाकर सुबह-शाम खाने से रतौधी मिटती है।
*अगस्त के 250 ग्राम पत्तों को पीसकर 1 किलोग्राम घी में पकाकर 5 से 10 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
*अगस्ता के फूलों का मधु आंखों में डालने से धुंध या जाला मिटता है। फूल को तोड़ने से भीतर से 2-3 बूंद शहद निकलता है।
*अगस्त के पत्तों को घी में भूनकर खाने से और घी का सेवन करने से धुंध या जाला कटता है।"

9 चित्तविभ्रम :- अगस्त के पत्तों के रस में सोंठ, पीपर और गुड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर 1 या 2 बूंद नाक में डालने से लाभ होता है।

10 स्वर भंग (आवाज के बैठने पर):- अगस्त की पत्तियों के काढ़े से गरारे करने से सूखी खांसी, जीभ का फटना, स्वरभंग तथा कफ के साथ रुधिर (खून) के निकलने आदि रोगों में लाभ होता है।

11 उदर शूल (पेट दर्द) :- अगस्त की छाल के 20 ग्राम काढ़े में सेंधानमक और भुनी हुई 20 लौंग मिलाकर सुबह-शाम पीने से 3 दिन में पुराने से पुराने उदर विकार और शूल नष्ट हो जाते हैं।

12 कब्ज:- अगस्त के 20 ग्राम पत्तों को 400 मिलीलीटर पानी में उबालकर, 100 मिलीलीटर शेष रहने पर 10-20 मिलीलीटर काढ़े को पिलाने से कब्ज मिटती है।

13 श्वेत प्रदर :- अगस्त की ताजी छाल को कूटकर इसके रस में कपड़े को भिगोकर योनि में रखने से श्वेत प्रदर और खुजली में लाभ होता है।

14 जोड़ों के दर्द :- धतूरे की जड़ और अगस्त की जड़ दोनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और पुल्टिस जैसा बनाकर दर्दयुक्त भाग पर बांधने से कष्ट दूर होता है। सूजन उतर जाती है। कम वेदना में लाल अगस्त की जड़ को पीसकर लेप करें।

15 वातरक्त :- अगस्त के सूखे फूलों का 100 ग्राम महीन चूर्ण भैंस के 1 किलो दूध में डालकर दही जमा दें, दूसरे दिन मक्खन निकालकर मालिश करें। इस मक्खन की मालिश खाज पर करने से भी लाभ होता है।

16 बुद्धि (दिमाग) को बढ़ाने वाला :- अगस्त के बीजों का चूर्ण 3 से 10 ग्राम तक गाय के ताजे 250 मिलीलीटर दूध के साथ सुबह-शाम कुछ दिन तक खाने से स्मरण शक्ति तेज हो जाती है।

17 ज्वर (बुखार) होने पर :- *अगस्त के फूलों या पत्तों का रस सुंघाने से चातुर्थिक ज्वर (हर चौथे दिन पर आने वाला बुखार) और बंधे हुए जुकाम में लाभ होता है
*अगस्त के पत्ते का रस 2 या 3 चम्मच में आधा चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से शीघ्र ही चातुर्थिक ज्वर का आना रुक जाता है। इसका प्रयोग बराबर 15 दिन तक करना चाहिए।
*फेफड़ों के शोथ एवं कफज कास श्वास के साथ यदि ज्वर हो तो इसकी जड़ की छाल अथवा पत्तों का या पंचाग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का 10 या 20 मिलीलीटर रस में बराबर शहद मिलाकर दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से अत्यंत लाभ होता है।
*10 से 20 ग्राम अगस्त की जड़ की छाल पान के साथ या उसके रस को शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से कफ निकल जाता है, पसीना आने लगता है और बुखार कम होने लगता है।
*अगस्त की जड़ की छाल के 2 ग्राम महीन चूर्ण को पान के पत्तों के 10 मिलीलीटर रस के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से भी कफज कास श्वास के साथ ज्वर में लाभ होता है।"

18 मूर्च्छा :- केवल अगस्त के पत्ते के रस की 4 बूंदे नाक में टपका दने से ही मूर्च्छा दूर हो जाती है।

19 बच्चों के रोग में :- अगस्त के पत्तों के रस को लगभग 5 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में पिलाने से 2-4 दस्त होकर बच्चों के सब विकार शांत हो जाते हैं।

20 खून के बहने पर (रक्तस्राव) :- अगस्त के फूलों का शाक खाने से लाभ होता है।

21 कनीनिका की सूजन :- अगस्त के फूल और पत्तों का रस नाक में डालने से
आंखों के रोगों में पूरा लाभ होता है।

22 निमोनिया :- अगस्त की जड़ की छाल पान में रखकर चूसने से या इसका रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से कफ (बलगम) निकलने लगता है और पसीना निकलना शुरू हो जाता जिसके फलस्वरूप बुखार धीरे-धीरे कम हो जाता है।

23 नखटन्ड:- 14 मिलीलीटर अगस्त के पत्तों का रस या इसका 12 से 24 ग्राम कल्क (लई) को 10 ग्राम घी में भूनकर दिन में 2 बार लेना चाहिए।

24 रोशनी से डरना :- अगस्त के पत्तों का रस और फूलों के रस को नाक मे डालने से रोशनी से डरने के रोग में आराम आता है।

25 सब्ज मोतियाबिंद :- आंखों की रोशनी कमजोर होने पर या आंखों से दिखाई न देने पर अगस्त के फूलों का रस रोजाना दो से तीन बार आंखों में डालने से काफी आराम आता है।

26 उपतारा सूजन :- अगस्त के फूल और पत्तों के रस को नाक में डालने से आंखों के रोगों में लाभ होता है।

27 मासिकधर्म बंद होना (नष्टार्तव) :- अगस्त के फूलों की सब्जी बनाकर खाने से रुकी हुई माहवारी पुन: शुरू हो जाती है।

28 अम्लपित्त होने पर :- अगस्त की छाल 60 ग्राम को एक लीटर पानी में पकाकर काढ़ा बना लें। जब पानी 250 ग्राम बच जायें, तब इस काढ़े को छानकर 2 ग्राम की मात्रा में हींग मिलाकर 4 हिस्से करके दिन में 4 बार पिलाने से अम्लपित्त के होने वाले पेट के दर्द में लाभ होता है।

29 दर्द व सूजन :- चोट, मोच की पीड़ा पर अगस्त के पत्तों का लेप करें। पूर्ण लाभ होगा।

30 नाक के रोग :- अगस्त के फूलों और पत्तों के रस को नाक में डालने से जुकाम में आराम आता है।

31 चेचक के लिए :- मसूरिका (चेचक) रोग में 40 ग्राम से 80 ग्राम तक अगस्त की छाल का फांट (घोल) रोगी को देने से लाभ होता है।

32 सिर का दर्द :- सिर में दर्द होने पर अगस्त के पत्तों और फूलों का रस सूंघने से सिर का दर्द खत्म होने के साथ ही साथ जुकाम भी ठीक हो जाता है।

Saturday, October 06, 2012

ये है दिग्विजय सिंह की असलियत ----

ये है दिग्विजय सिंह की असलियत ----

जब राजपुताना और मालवा के सभी क्षत्रिय राणा प्रताप के साथ हो रहे थे .रियासत मिली एक"गरीब दास"नाम के सैनिक को अकबर ने दी थी . गरीब दास अकबर के पास चला गया. अकबर ने उसकी सेवा से प्रसन्न होकर मालवा के सूबेदार
 को हुक्म भेजा की गरीब दास को एक परगना यानि पांच गाँव दे दिए जाएँ . गरीब दास की मौत के बाद उसके पुत्र"बलवंत सिंह (1770 -1797 ) ने इसवी 1777 में बसंत पंचमी के दिन एक गढ़ी की नींव रखी और उसका नाम अपने कुल देवता"राघोजी"के नाम पर"राघोगढ़"रख दिया था, कर्नल टाड के इतिहास के अनुसार बलवंत सिंह ने 1797 तक राज किया .और अंगरेजों से दोस्ती बढ़ाई.जब सन 1778 में प्रथम मराठा युद्ध हुआ तो बलवंत सिंह ने अंगरेजी फ़ौज की मदद की थी इसका उल्लेख जनरल Gadred ने"Section from State Papers .Maratha Volume I Page 204 में किया है .बलवंत सिंह की इस सेवा के बदले कम्पनी सरकार ने Captain fielding की तरफ से बलदेव सिंह को पत्र भेजा ,जिसमे लिखा था कंपनी बहादुर की तरफ से यह परगना जो बालामेटमें है उसका किला राघोगढ़ तुम्हें प्रदान किया जाता है और उसके साथ के गावों को अपना राज्य समझो .यदि सिंधिया सरकार किसी प्रकार का दखल करे तो इसकी सूचना मुझे दो............. ............... ............... .......
बाद में जब 1818 में बलवंत सिंह का नाती अजीत सिंह (1818 -1857 )गद्दी पर बैठा तो अंगरेजों के प्रति विद्रोह होने लगे था ,अजीत सिंह ने ग्वालियर के रेजिडेंट को पत्र भेजा कि,आजकल महाराज सिंधिया बगावत की तय्यारी कर रहे हैं .उनके साथ झाँसी और दूसरी रियासत के राजा भी बगावत का झंडा खड़ा कर रहे हैं .इसलिए इन बागियों को सजा देने के लिए जल्दी से अंगरेजी फ़ौज भेजिए ,उस पत्र का जवाब गवालियर के रेजिडेंट A .Sepoys ने इस तरह दिया"आप कंपनी की फ़ौज की मदद करो और बागियों साथ नहीं दो .आप हमारे दोस्त हो ,अगर सिंधिया फ़ौज येतो उस से युद्ध करो .कंपनी की फ़ौज निकल चुकी है

".
लेकिन सन 1856 में एक दुर्घटना में अजीत सिघ की मौत हो गयी .उसके बाद 1857 में उसका लड़का"जय मंगल सिंह"(1857 -1900 )गद्दी पर बैठा इसके बाद"विक्रमजीत सिंह राजा बना (1900 -1902 (.लेकिन अंग्रेज किसी कारण से उस से नाराज हो गए .और उसे गद्दी से उतार सिरोंज परिवार के एक युवक"मदरूप सिंह"को राजा बना दिया जिसका नाम"बहादुर सिंह"रख दिया गया ( 1902 -1945 )अंगरेजों की इस मेहरबानी के लिए बहादुर सिंह ने अंगरेजी सरकार का धन्यवाद दिया और कहा मैं वाइसराय का आभारी हूँ .मैं वादा करता हूँ कि सरकार का वफादार रहूँगा .मेरी यही इच्छा है कि अंगरेजी सरकार के लिए लड़ते हुए ही मेरी जान निकल जाये

.
इसी अंगरेज भक्त गद्दार का लड़का"बलभद्र सिंह"हुआ जो दिग्विजय का बाप है .बलभद्र का जन्म 1914 में हुआ था और इसके बेटे दिग्विजय का जन्म 28 फरवरी 1947 को इन्दौर में हुआ था

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बलभद्र सिंह ने मध्य भारत (पूर्व मध्य प्रदेश )की विधान सभा का चुनाव हिन्दू महा सभा की सिट से लड़ा था .और कांग्रेस के उम्मीदवार जादव को हराया था .सन 1969 में दिग्विजय ने भी नगर पालिका चुनाव कांग्रेस के विरुद्ध लड़ा था .और जीत कर अध्यक्ष बन गया था .लेकिन इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तारी से बचने लिए जब दिग्विजय अपने समाधी"अर्जुन सिघ"के पास गया तो उसने कांग्रस में आने की सलाह दी .और कहा यदि जागीर बचाना है तो कांग्रेस में आ जाओ . इस तरह दिग्विजय का पूरा वंश अवसरवाद ,खुशामद खोरी .और अंगरेजों सेवा करने लगा है इसी कारण से जब दिग्विजय उज्जैन गया था तो वहां के भाजयुमो के अध्यक्ष"धनञ्जय शर्मा"ने सबके सामने गद्दार करार दिया था .ओर सबूत के लिए एक सी डी बी पत्रकारों को बांटी थी (पत्रिका शुक्रवार 22 जुलाई 2011 भोपाल

)
2 -दिग्विजय ने कांग्रेसी नेत्री की हत्या करवायी !

अभी तक अधिकांश लोग इस बात का रहस्य नहीं समझ पा रहे थे कि दिग्विजय R .S .S और हिदुओं से क्यों चिढ़ता है .अभी अभी इसका कारण पता चला है .यद्यपि यह घटना पुरानी है .इसके अनुसार 14 फरवरी 1997 को रत के करीब 11 बजे दिग्विजय उसके भाई लक्ष्मण सिंह और कुछ दुसरे लोगों ने"सरला मिश्रा"नामकी एक कांग्रेसी नेत्री की कोई ज्वलन शील पदार्थ डाल कर हत्या कर दी थी .और महिला को उसी हालत में जलता छोड़कर भाग गए थे .इतने समय के बाद यह मामला समाज सेवी और बी जे पी के पूर्व पार्षद महेश गर्ग ने फिर अदालत में पहुंचा दिया है और सी .जे .एम् श्री आर .जी सिंह के समक्ष ,दिग्विजय सिंह ,उसके भाई लक्षमण सिंह ,तत्कालीन टी आई एस.एम् जैदी ,नायब तहसीलदार आर .के.तोमर ,तहसीलदार डी.के. सत्पथी ,डा .योगीराज शर्मा .ऍफ़.एस.एल के यूनिट प्रभारी हर्ष शर्मा और नौकर सुभाष के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 ,201 .212 ,218 ,120 बी ,और 461 अधीन मामला दर्ज करने के आदेश देने के लिए आवेदन कर दिया है. फरियादी महेश गर्ग ने धारा 156 .3 यह भी निवेदन भी किया है कि उक्त सभी आरोपियों के विरुद्ध जल्दी कार्यवाही कि जाये .इसपर सी. जे. एम् महोदय ने सुनवाई की तारीख 28 जुलाई तय कर दी है .यही कारण है कि दिग्विजय सभी हिन्दुओं का गालियाँ देता है (दैनिक जागरण 23 जुलाई 2011 भोपाल )

हम सब जानते है कि आपसी विवाह सम्बन्ध करते समय परिवार का खानदान देखा जाता है .नियोजक किसी को नौकरी देते समय आवेदक की पारिवारिक पृष्ठभूमि देख लेते है .यहां तक जानवरों की भी नस्ल देखी जाती है

.
फिर गद्दारों की संतान गद्दार देश भक्त कैसे हो सकते हैं .विदेशी अंगरेजों के चमचे विदेशी मालकिन की चमचागिरी क्यों न करेगा .ऐसा व्यक्ति कुत्ते से भी बदतर है ,कुत्ता अपनो को नहीं काटता है .इसने तो कांग्रेसी महिला नेत्री की निर्दयता पूर्वक हत्या करा दी .

लौंग को आयुर्वेद में बहुत उपयोगी औषधी


लौंग को आयुर्वेद में बहुत उपयोगी औषधी माना गया है। दादी और नानी के नुस्खों में इसे विशेष स्थान प्राप्त है। लौंग, जिसे कि लवांग के नाम से भी जाना जाता है, एक पेड़ की सूखी कली होती है। जो कि खुशबूदार होता है। दुनिया भर के व्यंजनों को बनाने में प्राय: लौंग का प्रयोग एक मसाले के रूप में किया जाता है। लौंग का अधिक मात्रा में उत्पादन जंजीबार और मलाक्का द्वीप में होता है। इसका उपयोग भारत और चीन में 2000 वर्षों से भी अधिक समय से हो रहा है। लौंग का उत्पादन मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मेडागास्कर, भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका आदि देशों में होता है। आपको शायद यह जानकर आश्चर्य हो कि अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में लौंग का मूल्य उसके वजन के सोने के बराबर हुआ करता था। लौंग कार्बोहाइड्रेट, नमी, प्रोटीन, वाष्पशील तेल, वसा जैसे तत्वों से भरपूर होता है। इसके अलावा लौंग में खनिज पदार्थ, हाइड्रोक्लोरिक एसिड में न घुलने वाली राख, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, सोडियम, पोटेशियम, विटामिन सी और ए भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं तीखी लोंग के ऐसे ही कुछ प्रयोग जो आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं। - खाना खाने के बाद 1-1 लौंग सुबह-शाम खाने से एसीडिटी ठीक हो जाती है। -15 ग्राम हरे आंवलों का रस, पांच पिसी हुई लौंग, एक चम्मच शहद और एक चम्मच चीनी मिलाकर रोगी को पिलाएं इससे एसीडिटी ठीक हो जाता है। - लौंग को गरम कर जल में घिसकर माथे पर लगाने से सिर दर्द गायब हो जाता है। - लौंग को पीसकर एक चम्मच शक्कर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर उबाल लें व ठंडा कर लें। इसे पीने से उल्टी होना व जी मिचलाना बंद हो जाता है। - लौंग सेंककर मुंह में रखने से गले की सूजन व सूखे कफ का नाश होता है। - सिर दर्द, दांत दर्द व गठिया में लौंग के तेल का लेप करने से शीघ्र लाभ मिलता है। - गर्भवती स्त्री को अगर ज्यादा उल्टियां हो रही हों तो लौंग का चूर्ण शहद के साथ चटाने से लाभ होता है। - लौंग का तेल मिश्री पर डालकर सेवन करने से पेटदर्द में लाभ होता है। - एक लौंग पीस कर गर्म पानी से फांक लें। इस तरह तीन बार लेने से सामान्य बुखार दूर हो जाएगा। - लौंग दमा रोगियों के लिए विशेषरूप से लाभदायक है। लौंग नेत्रों के लिए हितकारी, क्षय रोग का नाश करने वाली है। - लौंग और हल्दी पीस कर लगाने से नासूर मिटता है। - चार लौंग पीस कर पानी में घोल कर पिलाने में तेज ज्वर बुखार हो जाता है। - पांच लौंग दो किलो पानी में उबालकर आधा पानी रहने पर छान लें। इस पानी को नित्य बार-बार पिलाएं। केवल पानी भी उबाल कर ठंडा करके पिलाएं। लौंग को आयुर्वेद में बहुत उपयोगी औषधी माना गया है। दादी और नानी के नुस्खों में इसे विशेष स्थान प्राप्त है। लौंग, जिसे कि लवांग के नाम से भी जाना जाता है, एक पेड़ की सूखी कली होती है। जो कि खुशबूदार होता है। दुनिया भर के व्यंजनों को बनाने में प्राय: लौंग का प्रयोग एक मसाले के रूप में किया जाता है। लौंग का अधिक मात्रा में उत्पादन जंजीबार और मलाक्का द्वीप में होता है। इसका उपयोग भारत और चीन में 2000 वर्षों से भी अधिक समय से हो रहा है। लौंग का उत्पादन मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मेडागास्कर, भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका आदि देशों में होता है। आपको शायद यह जानकर आश्चर्य हो कि अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में लौंग का मूल्य उसके वजन के सोने के बराबर हुआ करता था। लौंग कार्बोहाइड्रेट, नमी, प्रोटीन, वाष्पशील तेल, वसा जैसे तत्वों से भरपूर होता है। इसके अलावा लौंग में खनिज पदार्थ, हाइड्रोक्लोरिक एसिड में न घुलने वाली राख, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, सोडियम, पोटेशियम, विटामिन सी और ए भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं तीखी लोंग के ऐसे ही कुछ प्रयोग जो आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं। - खाना खाने के बाद 1-1 लौंग सुबह-शाम खाने से एसीडिटी ठीक हो जाती है। -15 ग्राम हरे आंवलों का रस, पांच पिसी हुई लौंग, एक चम्मच शहद और एक चम्मच चीनी मिलाकर रोगी को पिलाएं इससे एसीडिटी ठीक हो जाता है। - लौंग को गरम कर जल में घिसकर माथे पर लगाने से सिर दर्द गायब हो जाता है। - लौंग को पीसकर एक चम्मच शक्कर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर उबाल लें व ठंडा कर लें। इसे पीने से उल्टी होना व जी मिचलाना बंद हो जाता है। - लौंग सेंककर मुंह में रखने से गले की सूजन व सूखे कफ का नाश होता है। - सिर दर्द, दांत दर्द व गठिया में लौंग के तेल का लेप करने से शीघ्र लाभ मिलता है। - गर्भवती स्त्री को अगर ज्यादा उल्टियां हो रही हों तो लौंग का चूर्ण शहद के साथ चटाने से लाभ होता है। - लौंग का तेल मिश्री पर डालकर सेवन करने से पेटदर्द में लाभ होता है। - एक लौंग पीस कर गर्म पानी से फांक लें। इस तरह तीन बार लेने से सामान्य बुखार दूर हो जाएगा। - लौंग दमा रोगियों के लिए विशेषरूप से लाभदायक है। लौंग नेत्रों के लिए हितकारी, क्षय रोग का नाश करने वाली है। - लौंग और हल्दी पीस कर लगाने से नासूर मिटता है। - चार लौंग पीस कर पानी में घोल कर पिलाने में तेज ज्वर बुखार हो जाता है। - पांच लौंग दो किलो पानी में उबालकर आधा पानी रहने पर छान लें। इस पानी को नित्य बार-बार पिलाएं। केवल पानी भी उबाल कर ठंडा करके पिलाएं।

क्या आप बचना चाहते हैं हाई ब्लड प्रेशर से...

क्या आप बचना चाहते हैं हाई ब्लड प्रेशर से...


आजकल के बढ़ते मानसिक तनाव और भागदौड़ से लोगों में हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होना आम हो गया है। थोड़ी सी टेंशन या कई जिम्मेदारियों को पूरा न कर पाने का दबाव इस बीमारी को लगातार बढ़ावा दे रहा है। आयुर्वेद के कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाकर आप काफी हद तक इस बीमारी से बच सकते हैं।

-प्याज का रस और शुद्ध शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रोज करीब दस ग्राम की मात्रा में लें।

- तरबूज के बीज की गिरि और खसखस दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें रोज सुबह-शाम एक चम्मच खाली पेट पानी के साथ लें(यह प्रयोग करीब एक महीने तक नियमित करें )।

- मेथीदाने के चूर्ण को रोज एक चम्मच सुबह खाली पेट लेने से हाई ब्लडप्रेशर से बचा जा सकता है।

-खाना खाने के बाद दो कच्चे लहसुन की कलियां लेकर मुनक्का के साथ चबाऐं ऐसा करने से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत नहीं होती।



Source: धर्म डैस्क उज्जैन 

स्वस्थ रहने के 20 सूत्र

ये है सेहत का T-20 
स्वस्थ रहने के 20 सूत्र





दिनचर्या में थोड़ा-सा व आसान परिवर्तन आपको स्वस्थ व दीर्घायु बना सकता है। बशर्ते आप कुछ चीजों को जीवनभर के लिए अपना लें और कुछ त्याज्य चीजों को हमेशा के लिए दूर कर दें। इसके लिए अपनाइए सरल-सा 20 सूत्री जीवन। 
* प्रतिदिन प्रातः सूर्योदय पूर्व (5 बजे) उठकर दो या तीन किमी घूमने जाएँ। सूर्य आराधना से दिन का आरंभ करें। इससे एक शक्ति जागृत होगी जो दिल-दिमाग को ताजगी देगी। 
* शरीर को हमेशा सीधा रखें यानी बैठें तो तनकर, चलें तो तनकर, खड़े रहें तो तनकर अर्थात शरीर हमेशा चुस्त रखें। 
* भोजन से ही स्वास्थ्य बनाने का प्रयास करें। इसका सबसे सही तरीका है, भोजन हमेशा खूब चबा-चबाकर आनंदपूर्वक करें ताकि पाचनक्रिया ठीक रहे, इससे कोई भी समस्या उत्पन्न ही नहीं होगी। 
* मोटापा आने का मुख्य कारण तैलीय व मीठे पदार्थ होते हैं। इससे चर्बी बढ़ती है, शरीर में आलस्य एवं सुस्ती आती है। इन पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में ही करें। 
* गरिष्ठ-भारी भोजन या हजम न होने वाले भोजन का त्याग करें। यदि ऐसा करना भी पड़े तो एक समय उपवास कर उसका संतुलन बनाएँ। 
* वाहन के प्रति मोह कम कर उसका प्रयोग कम करने की आदत डालें। जहाँ तक हो कम दूरी के लिए पैदल जाएँ। इससे मांसपेशियों का व्यायाम होगा, जिससे आप निरोगी रहकर आकर्षक बने रहेंगे, साथ ही पर्यावरण की रक्षा में भी सहायक होंगे।
* भोजन में अधिक से अधिक मात्रा में फल-सब्जियों का प्रयोग करें। उनसे आवश्यक तैलीय तत्व प्राप्त करें, शरीर के लिए आवश्यक तेल की पूर्ति प्राकृतिक रूप के पदार्थों से ही प्राप्त करें। 
* दिमाग में सुस्ती नहीं आने दें, कार्य को तत्परता से करने की चाहत रखें। 
* घर के कार्यों को स्वयं करें- यह कार्य अनेक व्यायाम का फल देते हैं। 
* व्यस्तता एक वरदान है, यह दीर्घायु होने की मुफ्त दवा है, स्वयं को व्यस्त रखें। 
* कपड़े अपने व्यक्तित्व के अनुरूप पहनें। थोड़े चुस्त कपड़े पहनें, इससे फुर्ती बनी रहेगी। 
* जीवन चलने का नाम है, गतिशीलता ही जीवन है, यह सदा ही याद रखें। 
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अपने जीवन में लक्ष्य, उद्देश्य और कार्य के प्रति समर्पण का भाव रखें।
* शरीर की सुंदरता उसकी सफाई में है। इसका विशेष ध्यान रखें। 
* सुबह एवं रात में मंजन अवश्य करें। साथ ही सोने से पूर्व स्नान कर कपड़े बदलकर पहनें। आप ताजगी महसूस करेंगे। 
* शरीर का प्रत्येक अंग-प्रत्यंग रोम छिद्रों के माध्यम से श्वसन करता है। इसीलिए शयन के समय कपड़े महीन, स्वच्छ एवं कम से कम पहनें। सूती वस्त्र अतिउत्तम होते हैं। 
* बालों को हमेशा सँवार कर रखें। अपने बालों में तेल का नियमित उपयोग करें। बाल छोटे, साफ रखें, अनावश्यक बालों को साफ करते रहें। 
* नियमित रूप से अपने आराध्य देव के दर्शन हेतु समय अवश्य निकालें। आप चाहे किसी भी धर्म के अनुयायी हों, अपनी धर्म पद्धति के अनुसार ईश्वर की प्रार्थना अवश्य करें। 
* क्रोध के कारण शरीर, मन तथा विचारों की सुंदरता समाप्त हो जाती है। क्रोध के क्षणों में संयम रखकर अपनी शारीरिक ऊर्जा की हानि से बचें। 
* मन एवं वाणी की चंचलता से अनेक अवसरों पर अपमानित होना पड़ सकता है। अतः वाणी में संयम रखकर दूसरों से स्नेह प्राप्त करें, घृणा नहीं।