28 साल के निमेश के कान में इन्फेक्शन हुआ था। डॉक्टर नेउन्हंे तीन तरह की दवाइयां लिखीं। जैसे ही उन्होंने दवा लेनीशुरू की उन्हें लूज मोशन हो गया। एक हफ्ते तक दवा का डोजलेने के बाद उन्हें दोबारा डॉक्टर के पास जाना था। वजहसमझ न आने की हालत में इस बीच वह डायरिया ठीक करनेके लिए कई उपाय करते रहे , मगर कोई फायदा नहीं हुआ।दवा की डोज पूरी होने तक डायरिया के चलते वह काफी बीमार हो गए। जब वह ईएनटी स्पेशलिस्ट के पासदोबारा गए तो पता लगा कि उन्हें प्रोबायटिक्स देकर बड़ी आसानी से इस हालत में पहुंचने से बचाया जा सकताथा। इस तरह की दिक्कतों के शिकार अकेले निमेश नहीं , उनके जैसे लाखों मरीज होते हैं। मगर जानकारी केअभाव में सही उपाय नहीं अपना पाते।
डॉक्टरों का कहना है कि इन्फेक्शन , दर्द वाले लक्षणों और यहां तक कि मौत के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया कोखत्म करने में एंटीबायटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इससे रोजाना लाखों लोगों को फायदा हो रहा है, मगर एंटीबायटिक के कुछ साइड इफेक्ट भी होते हैं। पेट की समस्या इनमें आम है। एंटीबायटिक्स के साथप्रोबायटिक्स लेने से फायदा हो सकता है।
गाइडलाइंस की जरूरत
फोर्टिस वसंतकुंज के सीनियर मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ . अनूप मिश्रा कहते हैं , एंटीबायटिक्स के संबंध में तोगाइडलाइंस हैं , मगर प्रोबायटिक्स के संबंध में अभी कोई गाइडलाइंस नहीं बनी हैं। ऐसे में आमतौर पर डॉक्टरइसे प्रेस्क्राइब नहीं करते हैं। उनका कहना है , चूंकि प्रोबायटिक्स करीब 4-5 साल पहले पेश हुई हैं , ऐसे मेंइसका कितना और किस तरह का फायदा होता है , इस पर ज्यादा रिसर्च नहीं हुई है। ऐसे में कम समय के लिएदी जाने वाली एंटीबायटिक्स के साथ इन्हें पे्रस्क्राइब करना जरूरी नहीं होता। मगर लंबे समय तक चलने वालीऔर ऐसी एंटीबायटिक्स जिनसे साइड इफेक्ट होना निश्चित है , के साथ प्रोबायटिक्स दिया जाना चाहिए।
डायरिया या कब्ज से बचाव
प्रोबायटिक्स में एंटीबायटिक्स के साइड इफेक्ट्स से लड़ने वाले अलग - अलग तरह के बैक्टीरिया होते हैं औरइस तरह के बैक्टीरिया दही में भी होते हैं। ऐसे में अगर आप अपने खाने में नियमित रूप से दही का इस्तेमालकरते हैं काफी फायदा हो सकता है। सीनियर गायनेकॉलजिस्ट डॉ . अर्चना धवन बजाज कहती हैं , मैं हमेशाएंटीबायटिक्स के साथ प्रोबायटिक्स लेने की सलाह देती हूं , क्योंकि ऐसा न करने पर अक्सर मरीज डायरिया याकब्ज का गलत इलाज करने लगते हैं। ऐसी हालत में उन्हें ज्यादा प्रोबायटिक्स की जरूरत पड़ती है।
बने रहें गुड बैक्टीरिया
प्राइमस सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के लैप्रोस्कोपिक एंड बेरियाट्रिक सर्जन डॉ . अतुल पीटर्स कहते हैं किप्रोबायटिक्स में आंतों के लिए फायदेमंद बैक्टीरिया होते हैं। एंटीबायटिक्स लेने से कई बार मरीज के शरीर केअच्छे बैक्टीरिया भी मर जाते हैं। ये बैक्टीरिया आंतों में कई तरह के विटामिन बनाने का काम करते हैं।प्रोबायटिक्स एंटीबायटिक्स से खत्म हो नष्ट हो चुके इन बैक्टीरिया की आबादी बढ़ाने में मदद करता है। ऐसेमामलों में प्रोबायटिक्स को आंतों के लिए फायदेमंद कई तरह के विटामिन कैप्सूल से बेहतर माना जाता है।हालांकि , प्रोबायटिक्स के संबंध में अभी और रिसर्च और गाइडलाइंस तैयार करने की जरूरत है।
डॉक्टरों का कहना है कि इन्फेक्शन , दर्द वाले लक्षणों और यहां तक कि मौत के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया कोखत्म करने में एंटीबायटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इससे रोजाना लाखों लोगों को फायदा हो रहा है, मगर एंटीबायटिक के कुछ साइड इफेक्ट भी होते हैं। पेट की समस्या इनमें आम है। एंटीबायटिक्स के साथप्रोबायटिक्स लेने से फायदा हो सकता है।
गाइडलाइंस की जरूरत
फोर्टिस वसंतकुंज के सीनियर मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ . अनूप मिश्रा कहते हैं , एंटीबायटिक्स के संबंध में तोगाइडलाइंस हैं , मगर प्रोबायटिक्स के संबंध में अभी कोई गाइडलाइंस नहीं बनी हैं। ऐसे में आमतौर पर डॉक्टरइसे प्रेस्क्राइब नहीं करते हैं। उनका कहना है , चूंकि प्रोबायटिक्स करीब 4-5 साल पहले पेश हुई हैं , ऐसे मेंइसका कितना और किस तरह का फायदा होता है , इस पर ज्यादा रिसर्च नहीं हुई है। ऐसे में कम समय के लिएदी जाने वाली एंटीबायटिक्स के साथ इन्हें पे्रस्क्राइब करना जरूरी नहीं होता। मगर लंबे समय तक चलने वालीऔर ऐसी एंटीबायटिक्स जिनसे साइड इफेक्ट होना निश्चित है , के साथ प्रोबायटिक्स दिया जाना चाहिए।
डायरिया या कब्ज से बचाव
प्रोबायटिक्स में एंटीबायटिक्स के साइड इफेक्ट्स से लड़ने वाले अलग - अलग तरह के बैक्टीरिया होते हैं औरइस तरह के बैक्टीरिया दही में भी होते हैं। ऐसे में अगर आप अपने खाने में नियमित रूप से दही का इस्तेमालकरते हैं काफी फायदा हो सकता है। सीनियर गायनेकॉलजिस्ट डॉ . अर्चना धवन बजाज कहती हैं , मैं हमेशाएंटीबायटिक्स के साथ प्रोबायटिक्स लेने की सलाह देती हूं , क्योंकि ऐसा न करने पर अक्सर मरीज डायरिया याकब्ज का गलत इलाज करने लगते हैं। ऐसी हालत में उन्हें ज्यादा प्रोबायटिक्स की जरूरत पड़ती है।
बने रहें गुड बैक्टीरिया
प्राइमस सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के लैप्रोस्कोपिक एंड बेरियाट्रिक सर्जन डॉ . अतुल पीटर्स कहते हैं किप्रोबायटिक्स में आंतों के लिए फायदेमंद बैक्टीरिया होते हैं। एंटीबायटिक्स लेने से कई बार मरीज के शरीर केअच्छे बैक्टीरिया भी मर जाते हैं। ये बैक्टीरिया आंतों में कई तरह के विटामिन बनाने का काम करते हैं।प्रोबायटिक्स एंटीबायटिक्स से खत्म हो नष्ट हो चुके इन बैक्टीरिया की आबादी बढ़ाने में मदद करता है। ऐसेमामलों में प्रोबायटिक्स को आंतों के लिए फायदेमंद कई तरह के विटामिन कैप्सूल से बेहतर माना जाता है।हालांकि , प्रोबायटिक्स के संबंध में अभी और रिसर्च और गाइडलाइंस तैयार करने की जरूरत है।
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