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Wednesday, November 14, 2012

अडूसा ( वासा ) के प्रयोग - 1




1 क्षय (टी.बी.) :- अडूसा के फूलों का चूर्ण 10 ग्राम की मात्रा में लेकर इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर 1 गिलास दूध के साथ सुबह-शाम 6 माह तक नियमित रूप से खिलाएं।
*अडूसा (वासा) टी.बी. में बहुत लाभ करता है इसका किसी भी रूप में नियमित सेवन करने वाले को खांसी से छुटकारा मिलता है। कफ में खून नहीं आता, बुखार में भी आराम मिलता है। इसका रस और भी लाभकारी है। अडूसे के रस में शहद मिलाकर दिन में 2-3 बार देना चाहिए।
*वासा अडूसे के 3 किलो रस में 320 ग्राम मि
श्री मिलाकर धीमी आंच पर पकायें जब गाढ़ा होने को हो, तब उसमें 80 ग्राम छोटी पीपल का चूर्ण मिलायें जब ठीक प्रकार से चाटने योग्य पक जाय तब उसमें गाय का घी 160 ग्राम मिलाकर पर्याप्त चलायें तथा ठंडा होने पर उसमें 320 ग्राम शहद मिलायें। 5 ग्राम से 10 ग्राम तक टी.बी. के रोगी को दे सकते हैं। साथ ही यह खांसी, सांस के रोग, कमर दर्द, हृदय का दर्द, रक्तपित्त तथा बुखार को भी दूर करता है।
*वासा के रस में शहद मिलाकर पीने से अधिक खांसी युक्त श्वास में लाभ होता है। यह क्षय, पीलिया, बुखार और रक्तपित्त में लाभकारी होता है।
*अडूसा की जड़ की छाल को लगभग आधा ग्राम से 12 ग्राम या पत्ते के चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक खुराक के रूप में सुबह और शाम शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता हैं।

2 दमा :- *अड़ूसा के सूखे पत्तों का चूर्ण चिलम में भरकर धूम्रपान करने से दमा रोग में बहुत आराम मिलता है।
*अडूसा के ताजे पत्तों को सुखाकर उनमें थोड़े से काले धतूरे के सूखे हुए पत्ते मिलाकर दोनों के चूर्ण का धूम्रपान (बीड़ी बनाकर पीने से) करने से पुराने दवा में आश्चर्यजनक लाभ होता है।
*यवाक्षार लगभग आधा ग्राम, अडू़सा का रस 10 बूंद और लौंग का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।
*लगभग आधा ग्राम अर्कक्षार या अड़ूसा क्षार शहद के साथ भोजन के बाद सुबह-शाम दोनों समय देने से दमा रोग ठीक हो जाता है।
*श्वास रोग (दमा) में अडू़सा (बाकस), अंगूर और हरड़ के काढ़े को शहद और शर्करा में मिलाकर सुबह-शाम दोनों समय सेवन करने से लाभ मिलता है।
*श्वास रोग (दमा) में अड़ूसे के पत्तों का धूम्रपान करने से श्वास रोग ठीक हो जाता है। अडूसे के पत्ते के साथ धतूरे के पत्ते को भी मिलाकर धूम्रपान किया जाए तो अधिक लाभ प्राप्त होता है।
*अड़ूसे के रस में तालीस-पत्र का चूर्ण और शहद मिलाकर खाने से स्वर भंग (गला बैठना) ठीक हो जाता है।
*अड़ू़सा (वासा) और अदरक का रस पांच-पांच ग्राम मिलाकर दिन में 3-3 घंटे पर पिलाएं। इससे 40 दिनों में दमा दूर हो जाता है।
*अड़ूसा के पत्तों का एक चम्मच रस शहद, दूध या पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से पुरानी खांसी, दमा, टी.बी., मल-मूत्र के साथ खून का आना, खून की उल्टी, रक्तपित्त रोग और नकसीर आदि रोगों में लाभ होता है।"

3 खांसी और सांस की बीमारी में :- अडूसा के पत्तों का रस और शहद समान मात्रा में मिलाकर दिन में 3 बार 2-2 चम्मच की मात्रा में ले सकते हैं।

4 नकसीर व रक्तपित्त :- अड़ूसा की जड़ की छाल और पत्तों का काढ़ा बराबर की मात्रा में मिलाकर 2-2 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन कराने से नाक और मुंह से खून आने की तकलीफ दूर होती है।

5 फोड़े-फुंसियां :- अडूसा के पत्तों को पीसकर गाढ़ा लेप बनाकर फोड़े-फुंसियों की प्रारंभिक अवस्था में ही लगाकर बांधने से इनका असर कम हो जाएगा। यदि पक गए हो तो शीघ्र ही फूट जाएंगे। फूटने के बाद इस लेप में थोड़ी पिसी हल्दी मिलाकर लगाने से घाव शीघ्र भर जाएंगे।

6 पुराना जुकाम, साइनोसाइटिस, पीनस में :- अडूसा के फूलों से बना गुलकन्द 2-2 चम्मच सुबह-शाम खाएं।

7 खुजली :- अडूसे के नर्म पत्ते और आंबा हल्दी को गाय के पेशाब में पीसे और उसका लेप करें अथवा अडूसे के पत्तों को पानी में उबाले और उस पानी से स्नान करें।

8 गाढ़े कफ पर :- गर्म चाय में अडूसे का रस, शक्कर, शहद और दो चने के बराबर संचल डालकर सेवन करना चाहिए।

9 बिच्छू के जहर पर :- काले अडूसे की जड़ को ठंडे पानी में घिसकर काटे हुए स्थान पर लेप करें।

10 सिर दर्द :- *अडूसा के फलों को छाया में सुखाकर महीन पीसकर 10 ग्राम चूर्ण में थोड़ा गुड़ मिलाकर 4 खुराक बना लें। सिरदर्द का दौरा शुरू होते ही 1 गोली खिला दें, तुरंत लाभ होगा।
*अडूसे की 20 ग्राम जड़ को 200 ग्राम दूध में अच्छी प्रकार पीस-छानकर इसमें 30 ग्राम मिश्री 15 कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से सिर का दर्द, आंखों की बीमारी, बदन दर्द, हिचकी, खांसी आदि विकार नष्ट होते हैं।
*छाया में सूखे हुए वासा के पत्तों की चाय बनाकर पीने से सिर-दर्द या सिर से सम्बंधी कोई भी बाधा दूर हो जाती है। स्वाद के लिए इस चाय में थोड़ा नमक मिला सकते हैं।

11 नेत्र रोग (आंखों के लिए) :- इसके 2-4 फूलों को गर्मकर आंख पर बांधने से आंख के गोलक की पित्तशोथ (सूजन) दूर होती है।

12 मुखपाक, मुंह आना (मुंह के छाले) :- *यदि केवल मुख के छाले हो तो अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाकर उसके रस को चूसने से लाभ होता है। पत्तों को चूसने के बाद थूक देना चाहिए।
*अडूसा की लकड़ी की दातुन करने से मुख के रोग दूर हो जाते हैं।
*अडूसा (वासा) के 50 मिलीलीटर काढे़ में एक चम्मच गेरू और 2 चम्मच शहद मिलाकर मुंह में रखने करने से मुंह के छाले, नाड़ीव्रण (नाड़ी के जख्म) नष्ट होते हैं।"

13 दांतों का खोखलापन :- दाढ़ या दांत में कैवटी हो जाने पर उस स्थान में अडूसे का सत्व (बारीक पिसा हुआ चूर्ण) भर देने से आराम होता है।

14 मसूढ़ों का दर्द :- अडूसे (वासा) के पत्तों के काढ़े यानी इसके पत्तों को उबालकर इसके पानी से कुल्ला करने से मसूढ़ों की पीड़ा मिटती है।

15 दांत रोग :- अडू़से के लकड़ी से नियमित रूप से दातुन करने से दांतों के और मुंह के अनेक रोग दूर हो जाते हैं।

16 चेचक निवारण :- यदि चेचक फैली हुई हो तो वासा का एक पत्ता तथा मुलेठी तीन ग्राम इन दोनों का काढ़ा बच्चों को पिलाने से चेचक का भय नहीं रहता है|

17 कफ और श्वास रोग :- *अडूसा, हल्दी, धनिया, गिलोय, पीपल, सोंठ तथा रिगंणी के 10-20 ग्राम काढे़ में एक ग्राम मिर्च का चूर्ण मिलाकर दिन में तीन बार पीने से सम्पूर्ण श्वांस रोग पूर्ण रूप से नष्ट हो जाते हैं।
*अडूसे के छोटे पेड़ के पंचाग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) को छाया में सुखाकर कपड़े में छानकर नित्य 10 ग्राम मात्रा की फंकी देने से श्वांस और कफ मिटता है।

18 फेफड़ों की जलन :- अडूसे के 8-10 पत्तों को रोगन बाबूना में घोंटकर लेप करने से फेफड़ों की जलन में शांति होती है।

19 आध्यमान (पेट के फूलने) पर :- अडूसे की छाल का चूर्ण 10 ग्राम, अजवायन का चूर्ण 2.5 ग्राम और इसमें 8वां हिस्सा सेंधानमक मिलाकर नींबू के रस में खूब खरलकर 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर भोजन के पश्चात 1 से 3 गोली सुबह-शाम सेवन करने से वातजन्य ज्वर आध्मान विशेषकर भोजन करने के बाद पेट का भारी हो जाना, मन्द-मन्द पीड़ा होना दूर होता है। वासा का रस भी प्रयुक्त किया जा सकता है।

20 वृक्कशूल (गुर्दे का दर्द) :- अडूसे और नीम के पत्तों को गर्मकर नाभि के निचले भाग पर सेंक करने से तथा अडूसे के पत्तों के 5 ग्राम रस में उतना ही शहद मिलाकर पिलाने से गुर्दे के भयंकर दर्द में आश्यर्चजनक रूप से लाभ पहुंचता है।

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