लिखिए अपनी भाषा में


आप यहाँ रोमन अक्षरों में हिंदी लिखिए वो अपने आप हिंदी फॉण्ट में बदल जायेंगे,
पूरा लिखने के बाद आप यहाँ से कॉपी कर कमेन्ट बौक्स में पेस्ट कर दें...

Sunday, November 04, 2012

अजमोद से उपचार:


अजमोद से उपचार:

परिचय : अजमोद के गुण प्राय: अजवाइन की तरह होते हैं। परन्तु अजमोद का दाना अजवाइन के दाने से बड़ा होता है। अजमोद भारतवर्ष में लगभग सभी जगह पाई जाती है लेकिन विशेषकर बंगाल में शीत ऋतु के आरम्भ में बोई जाती है। हिमालय के उत्तरी और पिश्चमी प्रदेशो में, पंजाब की पहाड़ियों पर, पिश्चमी भारतवर्ष और फारस में बहुलता से होता है। फरवरी-मार्च में फूल खिलते हैं और मार्च-अप्रैल तक फूल फल में परिवर्तित होने पर पौधा समाप्त हो जाता है।
रंग : अजमोद का रंग भूरा होता है।
्वाद : इसका स्वाद तेज और चरपरा होता है।
स्वरूप : अजमोद के छोटे-छोटे पौधे अजवायन की भांति एक से तीन फुट ऊंचे, पत्ते बिखरे और किनारे कटे हुए होते हैं। फूल छतरीनुमा फूलक्रम में नन्हें-नन्हें श्वेत रंग के होते हैं जो पककर अन्तत: बीजों में परिवर्तित हो जाते हैं। धनिये व अजवायन की भाति इन को ही अजमोद कहते हैं।
स्वभाव : अजमोद की तासीर गर्म और खुश्क होती है।
हानिकारक :अजमोद मिर्गी रोग को उभारता है और इसकी जड़ का सेवन फेफड़ों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए मिर्गी (अपस्मार) के रोगी को भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
अजमोद विदाही है, अर्थात खाने के बाद छाती में जलन पैदा करता है। इसके सेवन से गर्भाशय में उत्तेजना होती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

दोषों को दूर करने वाला : अजवाइन इसके दोशों को दूर करता है।
मात्रा (खुराक) : अजमोद 6 ग्राम से 9 ग्राम तक परन्तु जड़ केवल 7 ग्राम तक सेवन कर सकते हैं।
गुण : यह श्वास (दमा), सूखी खांसी और आंतरिक शीत के लिए लाभकारी है। पेट की गैस को खत्म करता है। यकृत (लीवर) और प्लीहा (तिल्ली) के लिए फायदेमंद है मूत्र अधिक लाता है, पथरी को तोड़ता है, भूख पैदा करता है इसकी जड़ तमाम कफ की बीमारियों में लाभकारी है तथा पाचन में सहायक है।

विभिन्न रोगों में अजमोद से उपचार:


1 गर्मी लगने पर: :- खुरासानी अजवाइन, मुर्दासन, अकरकरा तथा झोंझर की फली एक ग्राम लेकर पीसे तथा बेर की लकड़ी की आग पर डालकर उसका धुआं लें। इससे जल्द ही लाभ होगा।

2 शीत-पित्त की दवा: :- अजमोद तथा जवाखार का सेवन करने से शीत-पित्त के चकत्ते नष्ट हो जाते हैं।

3 मस्तिष्क के लिए::- अजमोद की जड़ की कॉफी मस्तिष्क एव वातनाड़ियों के लिए उपयोगी होता है।

4 श्वांस रोग::- स्नायु की शिथिलता के कारण उत्पन्न श्वसन नली की सूजन तथा श्वास रोगों में अजमोद लाभकारी है। इसे 3-6 ग्राम की मात्रा में दिन में 3 बार प्रयोग करें।

5 सूखी खांसी::- अजमोद को पान में रखकर चूसने से सूखी खांसी में आराम मिलता है।

6 हिचकी::- *भोजन के बाद यदि हिचकियां आती हो तो अजमोद के 10-15 दाने मुंह में रखने से हिचकी बंद हो जाती है।
*1-4 ग्राम अजमोदा के फल का चूर्ण सुबह-शाम सेवन करने से हिचकी से आराम मिलता है।
*अजमोद चूसकर उसका रस निगलने से, खाना-खाने के बाद आने वाली हिचकी में लाभ होता है।"

7 वमन (उल्टी)::- *जिन औषधियों का स्वाद अग्राह्रा होता है, उनके साथ अजमोद के 2 से 5 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से वमन या उल्टी की आशंका नहीं रहती है।
*अजमोद और लौंग के फूल को शहद में मिलाकर चाटने से उल्टी आना बंद हो जाती है।
*वमन यानि उल्टी बंद करने के लिए 2 से 5 ग्राम अजमोद एवं 2-3 लौंग की कली को पीसकर 1 चम्मच शहद के साथ चाटने से लाभ होता है।"

8 अफारा (पेट में गैस का बनना): :- 5 ग्राम अजमोद को 15 ग्राम गुड़ में
मिलाकर खाने से पेट का अफारा मिटता है।

9 पतले दस्त (अतिसार): :- अजमोद, सोंठ, मोचरस एवं धाय के फूल समान मात्रा में चूर्ण कर 3 से 6 ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ दिन में 3-4 बार सेवन करने से पतले दस्त बंद हो जाते हैं।

10 मूत्र विकार (पेशाब के रोग में)::- अजमोद की जड़ का 2-5 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम सेवन करना मूत्र विकार में लाभकारी है।

11 अर्श (बवासीर): :- अजमोद को गर्म कर कपड़े में बांधकर सेक करने से बवासीर की पीड़ा दूर होती है।

12 वायु प्रकोप::- मूत्राशय (वह स्थान जहां पेशाब एकत्रित होता हैं) में वायु का प्रकोप होने पर अजमोद और नमक को स्वच्छ वस्त्र में बांधकर नलों पर सेक करने से वायु नष्ट हो जाती है।

13 कृमि (पेट की कीड़े): :- बच्चों के गुदा में कृमि हो जाने पर अजमोद को अग्नि पर डालकर धुआं देने से तथा इसको पीसकर पेट पर लगाने से आराम मिलता है।

14 पेट की गैस: :- सभी प्रकार की गैस में अजमोद, छोटी पीपल, गिलोय, रास्ना, सोंठ, अश्वगंधा, शतावरी एवं सौंफ इन 8 पदार्थों को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण को डेढ़ ग्राम की मात्रा में 10 ग्राम गाय के घी के साथ दिन में सुबह और शाम सेवन करना चाहिए।

15 जोड़ों (गाठिया) के दर्द: :- अजमोद, वायबिडंग, देवदारू, चित्रक, पिपला की जड़, सौंफ, पीपल, कालीमिर्च 10-10 ग्राम, हरड़, विधारा 100 ग्राम, शुंठी 100 ग्राम। इन सबका महीन चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में पुराने गुड़ में मिश्रित कर गर्म पानी के साथ दिन में सुबह, दोपहर और शाम बार सेवन करने से सूजन, आमवात जोड़ों का दर्द, पीठ व जांघ का दर्द व सभी वात रोग नष्ट होते हैं।

16 बदन दर्द: :- बदन दर्द में अजमोद को तेल में उबालकर बदन की मालिश करनी चाहिए। अजमोद के पत्तों को गर्म करके रोगी के बिस्तर पर बिछाकर ऊपर से रोगी को हल्का कपड़ा ओढ़ा देना चाहिए।

17 दर्द और सूजन: :- अजमोद की जड़ का 10-20 मिलीलीटर काढ़ा या 2 से 5 ग्राम का चूर्ण किसी भी तरह के दर्द और सूजन में दिन में 2-3 बार प्रयोग करना लाभकारी होता है।

18 कुष्ठ (कोढ़): :- शीत पित्त और कुष्ठ में अजमोद के 2-5 ग्राम चूर्ण को गुड़ के साथ मिलाकर 7 दिन तक दिन में 2-3 बार सेवन करना चाहिए।

19 बुखार ::- अजमोद 4 ग्राम तक प्रतिदिन सुबह ठण्डे पानी के साथ बिना चबाये निगलने से जीर्ण ज्वर या बुखार और शरीर की सर्दी आदि दूर हो जाती है।

20 व्रण या फोड़े-फुंसी: :- फोड़े-फुंसी या घाव को जल्दी पकाने के लिए इसे थोड़े गुड़ के साथ पीसकर सरसों के तेल में पकाकर बांधना चाहिए।

21 आन्त्रिक ज्वर: :- 3 ग्राम अजमोद का चूर्ण शहद के साथ सुबह और शाम चाटने से रोग मे बहुत आराम आता है।

22 अजीर्ण ज्वर: :- अजमोद, हरड़, कचूर तथा संचार नमक आदि को
पीसकर चूर्ण बनाकर सेवन करने से बुखार समाप्त हो जाता है।

23 दांतों का दर्द::- अजमोद को आग पर डालकर उसका धुंआ मुंह में भरने से दांतों में लगे कीड़े खत्म होते हैं और दर्द से आराम मिलता है।

24 भूख अधिक लगना (अतिझुधा): :- अजमोद और दूध तथा घी मिलाकर खाने से 1 महीने तक भूख नहीं लगती है।

25 गर्भपात करना: :- अजमोदा के फल का चूर्ण 1 से 4 ग्राम की मात्रा में 3-4 बार देने से मासिक स्राव प्रारम्भ हो जाता है। गर्भावस्था में देने से गर्भ नष्ट हो जाता है।

26 संग्रहणी: :- *अजमोद, सोंठ, छोटी पीपल, कालीमिर्च, सेंधानमक, सफेद जीरा, काला जीरा तथा भुनी हुई हींग इन सभी को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाये। इस चूर्ण को घी में मिलाकर या भोजन खाने से पहले 1 ग्राम की मात्रा में खाने से संग्रहणी का रोग समाप्त हो जाता है।
*अजमोद, सोंठ, मोचरस और धाय के फूल को अच्छी तरह से चूर्ण बनाकर गाय के दूध या दही के साथ सेवन करने से संग्रहणी अतिसार के रोगी का रोग दूर हो जायेगा।"

27 गुर्दे के रोग : :- *अजमोदा फल का चूर्ण 1 से 4 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से पथरी रोग में लाभ होता है। परन्तु मिर्गी के रोगी और गर्भवती स्त्री को नहीं देना चाहिए।
*25 ग्राम अजमोद को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें आधा रह जाने पर ठंडा कर आधा या 2 कप 3-3 घंटे बाद पीयें।"

28 कमजोरी: :- अजमोद की जड़ के बारीक चूर्ण को डालकर बनी कॉफी के सेवन से वातानाड़ी (स्नायु) की कमजोरी मिट जाती है। ध्यान रहे कि इसका प्रयोग मिर्गी के रोगी और गर्भवती औरत के लिए हानिकारक है।

29 मिक्सीडीमा (स्त्री रोग): :- पेशाब खुलकर आने के लिए और शरीर की सूजन मिटाने के लिए अजमोदा की जड़ 1 से 4 ग्राम नियमित सुबह शाम खाने से लाभ होता है।

30 नष्टार्तव (मासिक धर्म बंद होना): :- अजमोदा के फल का चूर्ण 1 से 4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से मासिक स्राव जारी हो जाता है। गर्भावस्था में इसे नहीं देना चाहिए।

31 पथरी: :- *अजमोद 3 ग्राम, जवाखार 1 ग्राम को मूली के पत्तों के साथ पीसकर एक कप रस निकाल लें। एक कप रस प्रतिदिन सुबह-शाम 10 से 12 दिन तक पीयें। इससे पेट की पथरी गल जाती है पेडू (नाभी के नीचे का हिस्सा) का दर्द खत्म होता है।
*पित्त की पथरी में अजमोदा के फल का चूर्ण 1 ग्राम से 4 ग्राम सुबह-शाम देने से फायदा होता है। मगर यह मिर्गी और गर्भवती स्त्री को न दें।"

32 सभी प्रकार के दर्द में: :- अजमोद, सेंधानमक, हरड़ और सोंठ, कालीमिर्च और छोटी पीपल आदि को बारीक पीसकर छानकर चूर्ण बना लें, इस चूर्ण को 6 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ पीने से सभी प्रकार की पीड़ा में लाभ पहुंचता है।

33 पेट में दर्द होने पर: :- *अजमोद के चूर्ण और कालानमक को मिलाकर 3 ग्राम चूर्ण की खुराक को गर्म पानी के साथ सेवन करने से अफारा के कारण उत्पन्न रोग में सहायता मिलती है।
*अजमोद का बारीक पिसा हुआ चूर्ण में कालानमक को पीसकर गुनगुने पानी के साथ लेने से पेट में गैस के कारण होने वाला दर्द समाप्त हो जाता है।
*एक ग्राम काले नमक के साथ 3 ग्राम अजमोद की फंकी देने से पेट का दर्द दूर होता है।
*अजमोद के तेल की 2-3 बूंद को 1 ग्राम शुंठी चूर्ण में मिश्रित कर गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट की पीड़ा मिटती है।
*अजमोद को गुड़ के साथ पकाकर सेवन करने से पेट के दर्द में आराम होता है।"

34 गठिया (जोड़ों): :- *अजमोद, कालीमिर्च, छोटी पीपल, बायबिडंग, देवदारू, चित्रक, सौंफ, सेंधानमक, पीपलामूल और सोंठ 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसे थोड़े से पुराने गुड़ में मिलाकर इसकी गोलियां बना लें। 2-2 गोली सुबह-शाम गुनगुने पानी से लेने से गठिया रोग में लाभ मिलता है।
*4 ग्राम कपूर और एक ग्राम अफीम को पीसकर 20 गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। इसकी एक-एक गोली सुबह-शाम गर्म पानी से लें, इससे जोड़ों के दर्द में आराम मिलेगा।
*25 ग्राम सोंठ, 100 ग्राम हरड़, 15 ग्राम अजमोद तथा 10 ग्राम सेंधानमक इन सबको पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 2 चुटकी चूर्ण सुबह-शाम गर्म पानी से सेवन करें। इससे गठिया में आराम मिलता है।"

35 हृदय की आंतरिक सूजन: :- अजमोद की जड़ 4 ग्राम रोजाना सुबह पीसकर पिलाने से पेशाब की मात्रा बढ़ जाती है और आंतरिक हृदय की सूजन और पूरे शरीर की सूजन दूर होती है।

36 त्वचा से खून का आना: :- 1 से 4 ग्राम अजमोदा के फल का चूर्ण सुबह और शाम खाने से त्वचा का फटना या त्वचा के फटने की वजह से खून निकलना ठीक हो जाता है।

37 होठों का फटना: :- 1 से 4 ग्राम अजमोदा के फल के चूर्ण को रोजाना सुबह और शाम खाने से होंठ ही नहीं, शरीर में कही भी त्वचा फटकर खून निकलता हो तो इससे जरूर आराम होता है।

38 सिर का दर्द होने पर: :- लगभग 20-20 ग्राम की मात्रा में अजमोद, बच, कूट, पीपल, सौंठ, हल्दी, जीरा और मुलहठी को लेकर पीसकर और छानकर 5 ग्राम घी में मिलाकर हल्का गर्म दूध या पानी से लेने से बुद्धि बढ़ती है।

39 शरीर में सूजन: :- लगभग 1 से 4 ग्राम की मात्रा में अजमोदा की जड़ को सुबह और शाम को खाने से पेशाब खुलकर आता है, जिससे पूरे शरीर की सूजन खत्म हो जाती है।
714

2 comments:

We the people of India said...

VERY NICE

Unknown said...

I appreciate this blogger to give a meaningful and valuable post to cure different diseases with natural resources like ajomod or celery plant. This post is very much important who are suffering from many problems , there are many home remedies are given with this . All the natural resources grown from the earth , sunlight and water and Green Vanaspati play an important role to keep us healty, treatment with Ajmod paudha are given for the for the treatment of different major problems or diseases