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Wednesday, November 14, 2012

आंवले के प्रयोग - 8




जुकाम : -* 2 चम्मच आंवले के रस को 2 चम्मच शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम चाटने से जुकाम ठीक हो जाता है।
* जिन लोगों को अक्सर हर मौसम में जुकाम रहता है उन लोगों को आंवले का सेवन रोजाना करने से लाभ होता है।

दस्त : -* आंवले को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर 3 ग्राम की मात्रा में लेकर सेंधानमक मिलाकर दिन में कई बार पानी के साथ पीने से दस्त का आना बंद हो जाता है।
* सूखे आंवले को नमक और थो
ड़ा पानी डालकर 4 ग्राम के रूप में दिन में 4 बार खाने से लाभ मिलता है।
* सूखे आंवले को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण में कालानमक डालकर पानी के साथ इस्तेमाल करने से पुराने दस्त में लाभ मिलता है।
* आंवले को सुखाकर 250 ग्राम पानी में मिलाकर पीसकर नाभि के चारों तरफ लगा दें, नाभि में अदरक का रस लगाकर और थोड़ा-सा पिलाने से आतिसार मिटता है।
* आंवले की पत्ती, बबूल की पत्ती और आम की पत्ती को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर कपड़े से छानकर प्राप्त रस को निकाल कर रख दें, फिर इसी रस को 2-2 ग्राम की मात्रा में 6 ग्राम शहद के साथ मिलाकर प्रयोग करने से सभी प्रकार के दस्त आना रुक जाते हैं।
* सूखा आंवला, धनिया, मस्तंगी और छोटी इलायची को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इस चूर्ण को 3-3 ग्राम की मात्रा में बेल की मीठी शर्बत के साथ प्रयोग करने से गर्भवती स्त्री को होने वाले दस्त में आराम मिलता है।
* आंवले और धनियां को सुखाकर बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर उसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर जल के साथ लगभग 2 ग्राम की मात्रा में 1 दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से दस्त से पीड़ित रोगी को छुटकारा मिल जाता है।
* आंवले का सूखा हुआ 10 ग्राम चूर्ण और 5 ग्राम काली हरड़ को अच्छी तरह से पीसकर रख लें, 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम पानी के साथ फंकी के रूप में 1 दिन में सुबह, दोपहर और शाम पीने से दस्त का आना बंद हो जाता है और मेदा यानी आमाशय को बल देता है।
* सूखे आंवले, धनिया, जीरा और सेंधानमक को मिलाकर चटनी बनाकर खाने से आमातिसार में लाभ मिलता है।
* आंवले को पीसकर उसका लेप बनाकर अदरक के रस में मिलाकर पेट की नाभि के चारों ओर लगाने से मरीज के दस्त में लगभग आधे घंटे में आराम मिलता है।
* सूखे आंवले को पीसकर चूर्ण बनाकर आधा चम्मच में एक चुटकी की मात्रा में नमक मिलाकर फंकी के रूप में खाकर ताजा पानी को ऊपर से पी जायें।
* आंवले के कोमल पत्तों को पीसकर चूर्ण बनाकर छाछ के साथ रोजाना दिन में 3 बार 10 ग्राम चूर्ण को पीने से अतिसार यानी दस्त में लाभ मिलता है।
* आंवले का पिसा हुआ चूर्ण शहद के साथ खाने से खूनी दस्त और आंव का आना समाप्त हो जाता है।
* आंवले के पत्तों और मेथी के दानों को मिलाकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से अतिसार में लाभ पहुंचता है।
* करंज के पत्तों को पीसकर या घोटकर पिलाने से पेट में गैस, पेट के दर्द और दस्त में लाभ होता है।

नपुंसकता (नामर्दी) : -आंवले का रस निकालकर एक चम्मच आंवले के चूर्ण में मिलाकर लें। उसमें थोड़ी-सी शक्कर (चीनी) और शहद मिलाकर घी के साथ सुबह-शाम खायें।

गर्भवती की उल्टी और जी का मिचलना : -आंवले के रस में चंदन घिसकर 20 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से उल्टी बंद हो जाती है। इसे प्रतिदिन दो से तीन बार देना चाहिए।

कालाज्वर : -लगभग एक चम्मच आंवले के चूर्ण को दिन में दो बार शहद के साथ मिलाकर रोगी को देने से शरीर का खून बढ़ता है।

बहरापन : -एक-एक चम्मच आंवले के पत्तों का रस, जामुन के पत्तों का रस और महुए के पत्तों के रस को लेकर 100 ग्राम सरसों के तेल में डालकर पकाने के लिये रख दें। पकने के बाद जब बस तेल ही बाकी रह जाये तो उस तेल को शीशी में भरकर रख लें। इस तेल की 2-3 बूंदे रोजाना कान में डालने से बहरेपन का रोग जाता रहता है

आमातिसार : -लगभग 40 से 80 ग्राम भुईआंवले के कोमल तने के फांट (घोल) का सेवन करने से आमातिसार के रोगी का रोग ठीक होता है।

रजोनिवृत्ति (मासिक धर्म समाप्ति) के बाद के शारीरिक व मानसिक कष्ट : -शारीरिक जलन, ब्रहमतालु में गर्मी आदि के लिए आंवले का रस 10 से 20 ग्राम की मात्रा में मिश्री के साथ या सूखे आंवले का चूर्ण समान मात्रा में मिश्री के साथ सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।

मासिक-धर्म संबन्धी परेशानियां : -एक चम्मच आंवले का रस पके हुए केले के साथ कुछ दिनों तक लगातार सेवन करें। इसके सेवन से मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव नहीं होता है।

चोट लगना : -कटने से रक्त-स्राव होने पर कटे हुए स्थान पर आंवले का ताजा रस लगाने से खून का बहना बंद हो जाता है।

आंव रक्त (पेचिश) : -* कच्चा और भुना आंवला बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। 10 ग्राम चूर्ण दही में मिलाकर खाने से पेचिश के रोगी को लाभ मिलता है।
* 10 ग्राम आंवले का रस, 5 ग्राम घी और शहद मिलाकर सेवन करें और ऊपर से बकरी का दूध पीयें। इससे पेचिश के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
* 6 ग्राम आंवला की जड़ और सोंठ के छिलके को धोकर पीस लें तथा मसूर के दाने और नमक मिलाकर 4 चम्मच मिलाकर गर्म करें फिर उसे पीयें पेचिश के रोगी को लाभ मिलेगा।

भगन्दर : -आंवले का रस, हल्दी और दन्ती की जड़ 5-5 ग्राम की मात्रा में लें और इसको अच्छी तरह से पीसकर इसे भगन्दर पर लगाने से घाव नष्ट होते हैं।

प्रदर : -* आंवले के बीज के चूर्ण को शर्करा और शहद के साथ सेवन करने से पीत (पीला स्राव) प्रदर में आराम मिलता है।
* आंवले के बीजों को पानी के साथ पीसकर उसमें पानी, शहद और मिश्री मिलाकर पीने से 3 दिन में श्वेतप्रदर मिट जाता है।
* दो चम्मच आंवले का रस और एक चम्मच शहद को एक साथ मिलाकर 1 महीने तक पीने से सफेद प्रदर मिट जाता है।
* आंवले को सूखाकर अच्छी तरह से पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी बने चूर्ण की 3 ग्राम मात्रा को लगभग 1 महीने तक सुबह और शाम पीने से श्वेत प्रदर समाप्त होता है"

जिगर का रोग : -* 4 ग्राम सूखे आंवले का चूर्ण, या 25 ग्राम आंवले का रस 150 ग्राम पानी में अच्छी तरह मिलाकर दिन में 4 बार सेवन करने से फायदा होता है।
* 25 ग्राम आंवलों का रस या 4 ग्राम सूखे आंवले का चूर्ण पानी के साथ, दिन में 3 बार सेवन करने से 15-20 दिन में यकृत के सभी बीमारी से लाभ मिलता है।
* ताजे आंवले का रस निकाकलर 10 मिलीमीटर शहद डालकर ज्यादा दिनों तक सेवन करने से दोनों प्रकार के प्रदर रोग मिट जाते हैं।
* आंवले के बीजों का मिश्रण शहद के पानी के साथ सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है।

अग्निमान्द्यता (अपच) : -ताजे हरे आंवलों का रस और अनार का रस 4-4 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ रोजाना सुबह और खाना खाने बाद लेने से लाभ होता है।

अल्सर : -* एक चम्मच आंवले का चूर्ण, आधा चम्मच पिसी हुई सोंठ, आधा चम्मच पिसा हुआ जीरा, एक चम्मच पिसी हुई मिश्री, सबको मिलाकर एक खुराक सुबह और एक खुराक शाम को लें।
* एक चम्मच आंवले का रस और 1 चम्मच शहद दोनों को मिलाकर पीना चाहिए।

अम्लपित्त (एसिडिटीज) : -* 2 चाय के चम्मच आंवले के रस में इतनी ही मिश्री मिलाकर पीएं या बारीक सूखा पिसा हुआ आंवला और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर पानी से फंकी लेने से लाभ मिलता है।
* आंवले के फल के बीच के भाग को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर चूर्ण 3 से 6 ग्राम को 100 मिलीलीटर से 250 मिली लीटर दूध के साथ दिन में सुबह और शाम लेने से अम्लता से छुटकारा मिल सकता है।
* आंवले का रस एक चम्मच, चौथाई चम्मच भुना हुआ जीरा का चूर्ण, मिश्री और आधा चम्मच धनिए का चूर्ण मिलाकर लेने से अम्लपित्त में कुछ ही दिनों में लाभ मिलता है।
* आंवला, सफेद चंदन का चूर्ण, चूक, नागरमोथा, कमल के फूल, मुलेठी, छुहारा, मुनक्का तथा खस को बराबर मात्रा में कूटकर चूर्ण बना लें। फिर सुबह और शाम के दौरान 2-2 चुटकी शहद के साथ सेवन करें।
* आंवला, हरड़, बहेडा़, ब्राह्मी और मुण्डी को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें मिश्री मिलाकर 6-6 ग्राम चूर्ण की मात्रा को बकरी के दूध के साथ पीने से लाभ होता है।
* आंवले के चूर्ण को दही या छाछ के साथ सेवन करें।
* आंवला का रस शहद मिलाकर पीने से अम्लपित्त शांत करता है।
* आंवलों को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसके 2 ग्राम चूर्ण को नारियल के पानी के साथ, दिन में 2 बार सुबह और शाम पीने से अम्लपित्त से छुटकारा मिलता है।"

यकृत का बढ़ना : -3 ग्राम से 10 ग्राम की मात्रा में आंवले का चूर्ण, शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से यकृत की क्रिया ठीक हो जाती है।

पथरी : -* आंवला, गोखरू, किरमाला, डाम की जड़, कास की जड़ तथा हरड़ की छाल 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। उस चूर्ण को 2 किलो पानी में डालकर गाढ़ा काढ़ा बना लें। 25 ग्राम काढ़ा शहद के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम खायें। इससे सभी प्रकार की पथरी ठीक होती है।
* सूखे आंवले का चूर्ण बनाकर मूली के रस के साथ मिलाकर खाने से मूत्राशय की पथरी ठीक होती है।

कफ (बलगम) : -आंवला सूखा और मुलहठी को अलग-अलग बारीक करके चूर्ण बना लें और मिलाकर रख लें। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण दिन में 2 बार खाली पेट सुबह-शाम 7 दिनों तक ले सकते हैं। इससे छाती में जमा हुआ सारा कफ (बलगम) बाहर आ जायेगा।
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