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Wednesday, November 14, 2012

आंवले के प्रयोग - 9




प्यास अधिक लगना : -आंवला और सफेद कत्था मुंह में रखने से प्यास का अधिक लगना ठीक हो जाता है।

जलोदर : -* आंवले के रस और सनाय को खाने से जलोदर में आराम मिलता है।
* आंवले को भूनकर काढ़ा बनाकर पीने से पेशाब खूब खुलकर आता है और रोगी को जलोदर की बीमारी से छुटकारा मिल जाता है।

लू का लगना : -* उबाले हुए आंवला का पानी पीने से लू नहीं लगती है।
* सुबह और शाम को आंवला का मुरब्बा खाने से लू
 से छुटकारा पाया जा सकता है।
* आंवले के मुरब्बे के साथ मुक्तापिष्टी का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक सेवन किया जाये तो धूप से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है।

रक्तप्रदर : -* महिलाओं के रक्तप्रदर से पीड़ित होने पर आंवले के बारीक चूर्ण का लेप गर्भाशय के मुंह पर करना चाहिए अथवा आंवले के पानी से रूई या साफ कपड़ा भिगोकर गर्भाशय के मुंह पर रखना चाहिए। इससे रक्तप्रदर नष्ट हो जाता है।
* 10 ग्राम आंवले के रस को 400 ग्राम पानी में काढ़ा बना लें। इस काढे़ से योनि को साफ करने से रक्त प्रदर में आराम मिलता है।
* 5 ग्राम मात्रा में आंवला को पीसकर 3 ग्राम मधु के साथ मिलाकर दिन में सुबह-शाम सेवन करने से रक्त प्रदर में आराम मिलता है।
* 25 ग्राम आंवले का चूर्ण 50 ग्राम पानी में डालकर रख लें। सुबह उठकर उसमें जीरे का 1 ग्राम चूर्ण और 10 ग्राम मिसरी मिलाकर पीने से रक्त प्रदर से आराम मिलता है।
* आंवले के 20 ग्राम रस में एक ग्राम जीरे का चूर्ण मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। ताजे आंवलों के उपलब्ध न होने पर सूखे आंवले का 20 ग्राम चूर्ण रात में भिगोकर सुबह सेवन करें और सुबह भिगोकर रात्रि में छानकर सेवन करें। इससे पित्तप्रकोप से होने वाले रक्तप्रदर में विशेष लाभ होता है।

बच्चों का मधुमेह रोग : -* आंवले के फूलों को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। 1-1 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से बच्चे के मधुमेह रोग में लाभ होता है।
* आंवले और जामुन की गुठलियों को कूट-पीसकर चूर्ण बनायें। रोजाना 2-2 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से शर्करा आने में नियंत्रण होता है।

मधुमेह (डायबिटीज) : -* 10 ग्राम आंवले का रस, 1 ग्राम हल्दी, 3 ग्राम मधु मिलाकर सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
* 5 ग्राम या 4 चम्मच ताजे आंवले के रस में 1 चम्मच शहद को मिलाकर रोजाना सुबह के समय सेवन करने से मधुमेह रोगी को फायदा होता है।
* 100 ग्राम सूखा आंवला और 100 ग्राम सौंफ को बारीक पीस लें। इसे 6-6 ग्राम सुबह-शाम खाने से 3-4 माहीने में मधुमेह रोग मिट जाता है।
* 2 चम्मच ताजे आंवले का रस शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन से मधुमेह में लाभ होता है।
* थोड़ा सूखा आंवला लेकर उसमें 100 ग्राम जामुन की गुठलियों को सुखाकर पीस लें। इस चूर्ण में से 1 चम्मच चूर्ण रोजाना बिना कुछ खाये पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह मे लाभ होता है।
* आंवले के फूलों को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। 1-1 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।

शीतपित्त : -* आंवले के थोड़े से पत्ते और नीम की 4-5 कलियां, दोनों को घी में तलकर 4-5 दिन तक सुबह के समय खाने से शीत पित्त का रोग हमेशा के लिए ठीक हो जाता है।
* आंवले के चूर्ण को गुड़ में मिलाकर खाने से शीतपित्त का रोग ठीक हो जाता है। चूर्ण और गुड़ की मात्रा 1 चम्मच और 5 ग्राम होनी चाहिए।

पेट के कीड़े : -* आधा चम्मच आंवले का रस 2 से 3 दिन तक पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
* ताजे आंवले के लगभग 60 ग्राम रस को 5 दिन तक पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

प्लीहा वृद्धि (तिल्ली) : -आंवले के मुरब्बे के साथ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग मुक्तापिष्टी को मक्खन या मलाई के साथ सुबह और शाम को सेवन करने से तिल्ली के बढ़ने के कारण होने वाली पित्त की जलन तथा आन्तरिक जलन में राहत प्राप्त होती है।

प्लेग रोग : -प्लेग के रोग को दूर करने के लिए सोना गेरू, खटाई, देशी कपूर, जहर मोहरा और आंवला इन सबको 25-25 ग्राम तथा पपीता के बीज 10 ग्राम लेकर इन सबको मिलाकर कूटकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को कागजी नींबू के रस में 3 घंटों तक घोटने के बाद मटर के बराबर गोलियां बना लें। उन गोलियों में से 1 गोली 7 दिनों में एक बार खायें। इससे रोग में लाभ होता है।

नाक के रोग : -* सूखे आंवलों को घी में मिलाकर तल लें। फिर इसे पानी के साथ पीसकर माथे पर लगाने से नाक में से खून आना रुक जाता है।
* सूखे आंवलों को पानी में भिगोकर रख दें। थोड़े मुलायम होने पर इनको पीसकर टिकिया सी बना लें। इस टिकिया को सिर के तालु पर बांधने से नाक में से खून आना रुक जाता है।

सभी प्रकार के दर्द : -आंवला को पीसकर प्राप्त रस में चीनी को मिलाकर चाटने से `पित्तज शूल´, जलन और रक्तपित्त की बीमारियों में लाभ पहुंचाती है।

घाव (व्रण) : -नीम की छाल, गुर्च, आमला, बाबची, एक भांग (एक पल), सोंठ, वायविडंग, पमार, पीपल, अजवायन, जीरा, कुटकी, खैर, सेंधानमक, जवाक्षार, हल्दी, दारूहल्दी, नागरमोथा, देवदार और कूठ आदि को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर उसे कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को घाव पर लगाने से रोग में आराम मिलता है।

पेट में दर्द : -* आंवले के रस में विदारीकंद का रस 10-10 मिलीलीटर शहद के साथ मिलाकर दें।
* आंवला, सनाय, हरड़, बहेड़ा और कालानमक को मिलाकर बारीक पीस लें, फिर नींबू के रस में छोटी-छोटी गोलियां बना लें, सुबह और शाम 1-1 गोली बनाकर खाने से पेट का दर्द कम और भूख बढ़ती है।

वीर्य की कमी : -एक बड़े आंवले के मुरब्बे को खाने से मर्दाना ताकत आती है।

नकसीर (नाक से खून का आना) : -* 50 ग्राम आंवले के रस में 25 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से नकसीर (नाक से खून बहना) बंद हो जाता है।
* लगभग 200 ग्राम आंवला को पीसकर सिर के ऊपर मोटा-मोटा लेप करने से नकसीर (नाक से खून बहना) बंद हो जाती है।
* एक चम्मच मुलेठी और एक चम्मच आंवला के चूर्ण को मिलाकर दूध के साथ खाने से नकसीर ठीक हो जाती है।
* सूखे आंवले को रात को पानी में भिगोकर रख दें। रोजाना सुबह उस पानी से सिर को धोने से नकसीर (नाक से खून बहना) रुक जाती है। नकसीर के रोग में आंवले का मुरब्बा खाने से भी लाभ होता है। अगर नकसीर (नाक से खून बहना) बंद नहीं हो रहा हो तो आंवले के रस को नाक में डाले और इसको पीसकर सिर पर लेप करने से लाभ होता है। अगर किसी कारण से ताजे आंवले न मिले तो सूखे आंवलों को पानी में भिगोकर उस पानी को सिर पर लेप करने से दिमाग की गर्मी और खुश्की दूर होती है।
* जिन लोगों को प्राय: नकसीर होती रहती है वे सूखे आंवलों को रात को भिगोकर उस पानी से सुबह रोज सिर धोयें। आंवले का मुरब्बा खाएं। यदि नकसीर किसी भी प्रकार से बंद न हो तो आंवले का रस नाक में टपकाएं, सुंघाए और आंवले को पीसकर सिर पर लेप करें। यदि ताजा आंवला न मिले तो सूखे आंवलों को पानी में भिगोकर उस पानी को सिर पर लगाएं। इससे मानसिक गर्मी-खुश्की भी दूर होती है।
* जामुन, आम तथा आंवले को कांजी आदि से बारीक पीसकर मस्तक पर लेप करने से नाक से बहता खून रुक जाता है।
* नाक में आंवले का रस टपकाएं। ताजे आंवले नियमित खाएं। चीनी मिला आंवले का शर्बत सुबह-शाम पिलाएं"

अवसाद उदासीनता या सुस्ती : -रोजाना आंवले के मुरब्बे का सेवन करने से मानसिक अवसाद या उदासी दूर हो जाती है।

मूर्च्छा (बेहोशी) : -एक चम्मच आंवले का रस और 2 चम्मच घी को मिलाकर रोगी को पिलाने से बेहोशी दूर हो जाती है।

पेशाब में खून आना : -लगभग 12 ग्राम आंवला और 12 ग्राम हल्दी को मोटा-मोटा पीसकर रात को पानी में डालकर भिगो दें। सुबह इस पानी को छानकर पीने से पेशाब में खून आने का रोग दूर होता है।

योनि संकोचन : -* आंवला की छाल को 20 ग्राम की मात्रा में लेकर मोटा-मोटा पीसकर लगभग 250 ग्राम पानी में डालकर उबालें, जब पानी आधा बच जाये तब ठंडा करके योनि पर लगाने से योनि का ढीलापन दूर होकर योनि टाईट हो जाती है।
* आंवला को पकाकर काढ़ा बनाकर दही में मिलाकर योनि पर सुबह और शाम लगाने से लाभ मिलता है।
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