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Wednesday, November 14, 2012

अपामार्ग के प्रयोग - 3




दांतों में कीड़े लगना :- चिरमिटी की जड़ को कान पर बांधने से दांतों में लगे कीड़े नष्ट हो जाते हैं।

आंखों के रोग :- चिरमिटी को पानी में उबालकर, उसका पानी पलकों पर लगाने से आंखों की सूजन, आंखों की जलन, अभिष्यन्द और पलकों पर होने वाली मवाद आदि रोग दूर हो जाते हैं।

रतौंधी (रात में दिखाई न देना) :- * 10 ग्राम अपामार्ग (चिरचिटा) की जड़ को शाम के समय भोजन करने के बाद रोजाना चबाकर सो जाने से 2 से 4 दिनों के बाद ही रतौंधी रोग समाप्त हो जाता है।
*अपामार्ग (चिरचिटा
) की जड़ को छाया में सुखाकर और फिर उसका चूर्ण बनाकर 5 ग्राम चूर्ण रात को पानी के साथ खाने से 4-5 दिन में रतौंधी रोग में आराम आने लगता है।
*अपामार्ग (चिरचिटा) की जड़ को गाय के पेशाब में घिसकर आंखों में लगाएं।

गर्भनिरोध :- अपामार्ग की जड़ को स्त्री की योनि में बत्ती बनाकर रखने से स्थिर गर्भ भी नष्ट हो जाता है।

मुंह का रोग :- अपामार्ग की जड़ का काढ़ा बनाकर इसमें सेंधानमक मिलाकर कुल्ला करने से गले, मुंह का दाना व होंठों का फटना बंद हो जाता है।

मूत्ररोग :- अपामार्ग (चिरचिटा) की जड़ 5 ग्राम से 10 ग्राम या काढ़ा 15 ग्राम से 50 ग्राम को मुलेठी और गोखरू के साथ सुबह-शाम लेने से पेशाब की जलन और सूजन दूर होती है।

कष्टार्तव (मासिक धर्म का कष्ट के साथ आना) :- अपामार्ग की जड़ 10 ग्राम, कपास के फूल 10 ग्राम, गाजर के बीज 10 ग्राम को 250 ग्राम जल में उबालें। जब 20 ग्राम के लगभग जल शेष रह जाए तो इसे छानकर रात्रि के समय पिलाने से सुबह ऋतुस्राव (माहवारी) बिना दर्द के होता है|

मृत्वत्सा दोष (गर्भ में बच्चे का मर जाना) :- चिरचिटा (अपामार्ग) की जड़ के साथ लक्ष्मण बूटी की जड़ को, एक रंग वाली गाय (जिस गाय के बछड़े न मरते हो) के दूध में पीसकर खाने से पुत्र की आयु बढ़ती है तथा गर्भ में बच्चे की मृत्यु नहीं होती है।

पथरी :- 2 ग्राम अपामार्ग (चिरचिटा) की जड़ को पानी के साथ पीस लें। इसे प्रतिदिन पानी के साथ सुबह-शाम पीने से पथरी रोग ठीक होता है।

जलोदर (पेट में पानी का भरना) :- चिरचिटा (अपामार्ग) की जड़ 5 से 10 ग्राम या जड़ का काढ़ा बनाकर 15 ग्राम से लेकर 50 ग्राम को मुलेठी और गोखरू के साथ रोज दिन में सुबह और शाम खुराक के रूप में लेने से पेशाब की अम्लता कम हो जाती है और जलोदर में लाभ होता है।

यकृत का बढ़ना :- अपामार्ग का क्षार मठ्ठे के साथ एक चुटकी की मात्रा से बच्चे को देने से बच्चे की यकृत रोग के मिट जाते हैं।

पेट का बढ़ा होना :- चिरचिटा (अपामार्ग) की जड़ 5 ग्राम से लेकर 10 ग्राम या जड़ का काढ़ा 15 ग्राम से 50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम कालीमिर्च के साथ खाना खाने से पहले पीने से आमाशय का ढीलापन में कमी आकर पेट का आकार कम हो जाता है।

पित्त की पथरी में :- पित्त की पथरी में चिरचिटा की जड़ आधा से 10 ग्राम कालीमिर्च के साथ या जड़ का काढ़ा कालीमिर्च के साथ 15 ग्राम से 50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से पूरा लाभ होता है। काढ़ा अगर गर्म-गर्म ही खायें तो लाभ होगा।

नाक के रोग :- अपामार्ग (चिरचिटा) की जड़ को पीसकर नाक से सूंघने से नकसीर (नाक से खून बहना) बंद हो जाता है।

गुल्म (वायु का गोला) :- अपामार्ग की जड़, स्याह मिर्च पीसकर घी के साथ प्रयोग कर सकते हैं।

योनि का दर्द :- 5 ग्राम अपामार्ग की जड़ और 5 ग्राम पुनर्नवा की जड़ को लेकर बारीक पीसकर योनि पर लेप करने से योनि (भग) के दर्द से छुटकारा मिलता है।

पेट में दर्द होने पर :- चिरचिटा (अपामार्ग) की जड़ को 5 ग्राम से 10 ग्राम या इसी का काढ़ा बनाकर 15 ग्राम से 50 ग्राम को कालीमिर्च के साथ खाना खाने से पहले सुबह और शाम पिलाने से भोजन के न पचने के कारण होने वाले पेट का दर्द मिटता है और खाना खाने के बाद पीने से अम्लदोष में आराम होगा।

गठिया रोग :- अपामार्ग (चिचड़ा) के पत्ते को पीसकर, गर्म करके गठिया में बांधने से दर्द व सूजन दूर होती है।

कण्ठमाला के लिए :- अपामार्ग की जड़ की राख को खाने और गांठों पर लगाने से कण्ठमाला रोग (गले की गांठे) समाप्त हो जाता है।

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