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Friday, September 21, 2012

व्यस्त लोगों के लिये ध्यान

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुरेव परं ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ये विचार नहीं अमृत की बूंद है ..जो जीवन में
नयी बहार ला सकती है....
व्यस्त लोगों के लिये ध्यान : रात्रि-ध्यान रात्रि आज सोने के पूर्व दस मिनट बिस्तर
पर
 लेट जाएं, कमरे में अंधेरा कर लें। आंख बंद कर
लें, और जोर से श्वास मुंह से बाहर निकालें।
निकालने से शुरू करें, एक्सेहलेशन से। लेने से
नहीं, निकालने से। जोर से मुंह से श्वास बाहर
निकालें। और निकालते समय ओऽऽऽ...की ध्वनि करें। जैसे-जैसे ध्वनि साफ
होने लगेगी, ओम् अपने आप ही निर्मित
हो जाएगा। आप सिर्फ ओऽऽऽ...का उच्चारण
करें। ओम् का आखिरी हिस्सा अपने आप,
जैसे ध्वनि व्यवस्थित होगी, आने लगेगा।
आपको ओम् नहीं कहना है, आपको सिर्फ ओ कहना है, म् को आने देना है। पूरी श्वास
को बाहर फेंक दें। फिर ओंठ बंद कर लें और
शरीर को श्वास लेने दें, आप मत लें।
निकालना आपको है, लेना शरीर को है। आमतौर से लेते हम हैं, निकालता शरीर है। और
उसका कारण है। जाती हुई श्वास जीवन से
जुड़ी है--भीतर जाती हुई श्वास। बाहर
जाती हुई श्वास मृत्यु से जुड़ी है। बच्चा जब
जन्मता है तो पहला काम करेगा, श्वास भीतर
लेगा। बाहर निकालने को तो उसके पास कोई श्वास होती भी नहीं। भीतर लेगा। श्वास
का भीतर जाना, जीवन का पहला स्पंदन है।
मरता हुआ आदमी जो आखिरी काम करेगा,
श्वास को बाहर निकालेगा। क्योंकि भीतर
श्वास रह जाए तो मृत्यु हो ही नहीं सकती। मृत्यु है श्वास का बाहर जाना। जीवन है श्वास
का भीतर आना। क्योंकि सोना भी मृत्यु का हिस्सा है। नींद
छोटी मौत है। और अगर आप छोड़ती हुई
श्वास के साथ सो जाएं, तो आपकी पूरी नींद
गहरी मृत्यु बन जाएगी। दस मिनट ओ की आवाज के साथ श्वास
को छोड़ें मुंह से। फिर नाक से श्वास लें। फिर
मुंह से छोड़ें। फिर नाक से लें। और ऐसे
ओऽऽऽ...की आवाज करते-करते-करते-करते
सो जाएं।

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