अजामिल कान्यकूब्ज ब्राह्मण कन्नौज निवासी थे | इनके माता -पिता ने पुत्र का नाम अजामिल रखा था , जिससे वह सच्चा हो गया | ये पूर्व जन्म के ऋषि थे | एक बार अजामिल पराशर और सत्यवती के समागम को देखकर हंसे जिससे ऋषि ने श्राप दे दिया कि तुम्हारा जीवन वेश्या के साथ बीतेगा | काफी अनुनय – विनय करने पर अपराध क्षमा के लिए स्वयं पराशर ऋषि आकर पुत्र का नाम नारायण रखा और अजामिल का उद्धार किया |
अजामिल का माया रुपी वेश्या से मेल हो गया था | ब्राह्मण कूल की विवाहिता पत्नी छूट गयी | वह मद्दपान करने लगा , उसने अपने आचार विचार को दूर फेंक दिया | अपने शरीर को उसके साथ घुला – मिला लिया , जिससे वह महान पापी हो गया |
एक बार संयोगवश विचरते हुए कुछ साधु – संत आए , उनसे किसी दुष्ट ने मजाक में कहा कि अजामिल बड़ा साधु सेवी है , उसी के यहाँ चले जाओ | संत अजामिल के घर पहुँच गए | दर्शन मात्र से ही अजामिल को सतोगुणी बुद्धि आ गयी | संतों में बड़ी श्रद्धा हुई | सावधानी से सेवा करके अजामिल ने उन्हें प्रसन्न कर लिया | संतों के चलते समय अजामिल ने स्त्री समेत उनको प्रणाम किया | इस पर संतों ने आशीर्वाद दिया कि इसके पुत्र होगा और उसका नाम नारायण रखना | कुछ समय बाद पुत्र का जन्म हुआ और अजामिल ने उसका नाम नारायण रखा |
महात्माओं के स्मरण मात्र से ही गृहस्थों के घर तत्काल पवित्र हो जाते हैं , फिर ह्रदय के पवित्र होने की तो बात ही क्या है | फिर दर्शन , स्पर्श , पाद प्रक्षालन और आसन दानादि का सुअवसर मिलने पर तो बात ही क्या है |
अजामिल स्त्री – पुत्र के मोह जाल में लिपटा पड़ा था , इतने में इसके मरने का समय आ गया | अति भयानक यमदूत दिखलाई पड़े | भय और मोहवश अजामिल अत्यंत व्याकुल हुआ | संतो ने कृपा करके बालक का जो नाम रखवाया था , अजामिल ने दुखित होकर नारायण ! नारायण !! पुकारा | भगवान् का नाम सुनते ही विष्णु पार्षद उसी समय उसी स्थान पर दौड़कर आ गए | यमदूतों ने जिस फाँसी से अजामिल को बांधा था , पार्षदों ने उसे तोड़ डाला | यमदूतों के पूछने पर पार्षदों ने धर्म का रहस्य समझाया | यमदूत न माने , अजामिल को पापी समझकर साथ ले जाना चाहते थे , तब पार्षदों ने यमदूत को डांट डपटकर भगा दिया | हारकर सब यमदूतों ने धर्मराज के पास जाकर पुकार की | तब धर्मराज ने कहा कि तुम लोगों ने बड़ा नीच काम किया है , तुम पर गाज गिरे , तुमने बड़ा अपराध किया है | अब सावधान रहना और जहाँ कहीं भी , कोई भी किसी भी प्रकार से भगवान् के नाम का उच्चारण करे , वहां मत जाना | धर्मराज ने यमदूतों से कहा कि अपने कल्याण के लिए तुम लोग स्वयं भी हरी का नाम और यश का गान करो |
बड़े – बड़े महात्मा पुरुष यह बात जानते हैं कि संकेत में , परिहास में अथवा किसी की अवहेलना करने में भी यदि कोई भगवान् के नामों का उच्चारण करता है तो उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं |
No comments:
Post a Comment