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Saturday, October 13, 2012

दूध पीने के नियम

दूध पीने के नियम - बोर्नविटा हार्लिक्स के विज्ञापनों के चलते माताओं के मन में यह बैठ जाता है कि बच्चों को ये सब डाल कर 2 कप दूध पिला दिया ।

बस हो गया । चाहे बच्चे दूध पसंद करें । ना करें । उल्टी करें । वे किसी तरह ये पिला कर ही दम लेती हैं । फिर भी बच्चों में कैल्शियम की कमी । लम्बाई न बढना इत्यादि समस्याएँ देखने में आती हैं । आयुर्वेद के अनुसार दूध पीने के कुछ नियम हैं ।  
- सुबह सिर्फ काढ़े के साथ दूध लिया जा सकता है ।
- दोपहर में छाछ पीना चाहिए । दही की प्रकृति गर्म होती है । जबकि छाछ की ठंडी ।
- रात में दूध पीना चाहिए । पर बिना शक्कर के । हो सके तो गाय का घी १- २ चम्मच डाल कर लें । दूध की अपनी प्राकृतिक मिठास होती है । वो हम शक्कर डाल देने के कारण अनुभव ही नहीं कर पाते ।

- एक बार बच्चे अन्य भोजन लेना शुरू कर दें । जैसे - रोटी । चावल । सब्जियां । तब उन्हें गेंहूँ । चावल और सब्जियों में मौजूद कैल्शियम प्राप्त होने लगता है । अब वे कैल्शियम के लिए सिर्फ दूध पर निर्भर नहीं ।
- कपाल भांति । प्राणायाम । और नस्य लेने से बेहतर कैल्शियम एब्ज़ोर्प्शन होता है । और कैल्शियम । आयरन । और विटामिन्स की कमी नहीं हो सकती । साथ ही बेहतर शारीरिक और मानसिक विकास होगा ।  - दूध के साथ कभी भी नमकीन या खट्टे पदार्थ ना लें । त्वचा विकार हो सकते हैं ।
- बोर्नविटा । कॉम्प्लान । या हार्लिक्स । किसी भी प्राकृतिक आहार से अच्छे नहीं हो सकते ।  इनके लुभावने विज्ञापनों का कभी भरोसा मत करिए । बच्चों को खूब - चने । दाने । सत्तू । मिक्स्ड आटे के लड्डू खिलाइए । - प्रयत्न करे कि 

देशी गाय का दूध लें । - जर्सी या दोगली गाय से भैंस का दूध बेहतर है ।
- दही अगर खट्टा हो गया हो । तो भी दूध और दही ना मिलायें । खीर और कढ़ी एक साथ न खायें । खीर के साथ नमकी्न पदार्थ न खायें । - अधजमे दही का सेवन ना करें । - चावल में दूध के साथ नमक ना डालें ।
- सूप में । आटा भिगोने के लिये । दूध इस्तेमाल न करें ।
- द्विदल यानी कि दालों के साथ दही का सेवन विरुद्ध आहार माना जाता है । अगर करना ही पड़े । तो दही को हींग जीरा की बघार देकर उसकी प्रकृति बदल लें । - रात में दही या छाछ का सेवन न करें ।

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