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Tuesday, October 02, 2012

गांधी संत या .....

गांधी संत या ..... ? -आपसे निवेदन है की इसे पहले पढे!! फिर बहस करे
पाकिस्तान से दिल्ली की तरफ जो रेलगाड़िया आ रही थी, उनमे हिन्दू इस प्रकारबैठे थे जैसे माल की बोरिया एक के ऊपर एक रची जाती हैं.अन्दर ज्यादातर मरे हुए ही थे गला कटे हुए.रेलगाड़ी के छप्पर पर बहुत से लोग बैठे हुए थे, डिब्बों के अन्दर सिर्फ सांस लेने भर की जगह बाकी थी.बैलगाड़िया ट्रक्स हिन्दुओं से भरे हुए थे.रेलगाड़ियों पर लिखा हुआ था,"आज़ादी का तोहफा"- जैसे ही अदला बदली हुई इस्लाम हावी हुआ हिन्दू पर चढ़ा गांधी की अहिंसा का बोलबाला, यह वही लोग थेजो बटवारे से पहले इन हिन्दुओ के साथ रहते थे. अब काट रहे है रेलगाड़ी में जो लाशें भरी हुई थी उनकी हालत कुछ ऐसी थी की उनको उठाना मुश्किल था दिल्ली पुलिस को फावड़ें में उन लाशों को भरकर उठाना पड़ा. ट्रक में भरकरकिसी निर्जनस्थान पर ले जाकर ,उनपर पेट्रोल के फवारे मारकर उन लाशों को जलाना पड़ा इतनी विकट हालत थी उन मृतदेहों की.भयानक बदबू......
जिन स्थानों से लोगों ने जाने से मना कर दिया ,उन स्थानों पर हिन्दू स्त्रियों की यात्रा (धिंड)निकाली गयी. उनको बाज़ार सजाकर बोलियाँ लगायी गयी. 1947 के बाद दिल्ली में 400000 हिन्दू निर्वासित आये.और इन हिन्दुओं को जिस हाल में यहाँ आना पड़ा था,,उसके बावजूद पाकिस्तान को पचपन करोड़ रुपये देने ही चाहिए ऐसा महात्मा जी का आग्रह था...क्योकि एक तिहाई भारत के तुकडे हुए हैं तो भारत के खजाने का एक तिहाई हिस्सा पाकिस्तान को मिलना चाहिए था.विधि मंडल ने विरोध किया,,पैसा नहीं देगे..और फिर बिरला भवन के पटांगन में महात्मा जी अनशन पर बैठ गए...पैसे दो,नहीं तो मैं मर जाउगा..एक तरफ अपने मुहँ से ये कहने वाले महात्मा जी , की हिंसा उनको पसंद नहीं हैं,, दूसरी तरफ जो हिंसा कर रहे थे उनके लिए अनशन पर बैठ गए.
दिल्ली में हिन्दू निर्वासितों के रहने की कोई व्यवस्था नहीं थी.इससे ज्यादा बुरी बात ये थी की दिल्ली में खाली पड़ी मस्जिदों में हिन्दुओं ने शरण ली तब बिरला भवन से महात्मा जी ने भाषण में कहा की दिल्लीपुलिस को मेरा आदेश हैं मस्जिद जैसी चीजों पर हिन्दुओं का कोई ताबा नहीं रहना चाहिए.निर्वासित ों को बाहर निकालकर मस्जिदे खाली करे.. क्योंकि महात्मा जी की दृष्टी में जान सिर्फ मुसलमानों में थी हिन्दुओं में नहीं. जनवरी की कडकडाती ठंडी में हिन्दू महिलाओं और छोटे छोटे बच्चों को हाथ पकड़कर पुलिस ने मस्जिद के बाहर निकाला. गटर के किनारे रहो लेकिन छत के निचे नहीं.क्योकि,,तु म हिन्दू हो.....4000000 हिन्दू भारत में आये थे,,ये सोचकर की ये भारत हमारा हैं..ये सब निर्वासित गांधीजी से मिलाने बिरला भवन जाते थे तब गांधीजी माइक पर से कहते थे, क्यों आये यहाँ अपने घरदार बेचकर, वहीँ परअहिंसात्मक प्रतिकार करके क्यों नहीं रहे?? यही अपराध हुआ तुमसे अभी भी वही वापस जाओ..और ये महात्मा किस आशा पर पाकिस्तान को पचपन करोड़ रुपये देने निकले थे ?
सरदार पटेल ने कहा की ठीक हैं अगर भाई को इस्टेट मेंसे हिस्सा देना पड़ता हैं तो कर्ज की रकम का हिस्सा भी चुकाना पड़ता हैं. गंदिजी ने कहा बराबर हैं पटेल जी ने कहा,"फिर दुसरेमहायुद्ध के समय अपने देश ने 110 करोड़ रुपये कर्ज के रूप में खड़े किये थे, अब उसका एक तृतीय भाग पाकिस्तान को देने का कहिये, आप तो बैरिस्टर हैंआपको कायदा पता हैं."गांधीजी ने कहा,,नहीं ये नहीं होगा अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोली काण्ड (1919) से समस्त देशवासी आक्रोश में थे तथा चाहते थे कि इस नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाए। गांधी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से मना कर दिया।
भगत सिंह व उसके साथियों के मृत्युदण्ड के निर्णय से सारा देश क्षुब्ध था व गांधी की ओर देख रहा था किवह हस्तक्षेप कर इन देशभक्तों को मृत्यु से बचाएं, किन्तु गांधी ठहरे प्रसिद्धि के भूखे, भगत सिंह को हीरो कैसे बनने देते? उसने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए जनसामान्य की इस माँग को अस्वीकार कर दिया। क्या आश्चर्य कि आज भी भगतसिंह वे अन्य क्रान्तिकारियों को आतंकवादी कहा जाता है। कॉंग्रेस मित्र वामपंथी भगत सिंह को आतंकी मानते है।
6 मई 1946 को समाजवादी कार्यकर्ताओं को अपने सम्बोधन में गान्धी ने मुस्लिम लीग की हिंसा के समक्ष अपनी आहुति देने की प्रेरणा दी। मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते हुए 1921में गांधी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। तो भी केरल के मोपला में मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की मारकाट की जिसमें लगभग 1500 हिन्दु मारे गए व 2000 से अधिक को मुसलमानबना लिया गया। गांधी ने इसहिंसा का विरोध नहीं किया,वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया। 1926 में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी श्रद्धानन्द जी की हत्या अब्दुल रशीद नामक एक मुस्लिम युवक ने कर दी, इसकी प्रतिक्रियास्वर ूप गांधी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृत्य को उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गलराष्ट्र-व िरोधी तथा हिन्दु-मुस्लिम एकता के लिए अहितकारी घोषित किया।गांधी ने जहाँ एक ओर कश्मीर के हिन्दु राजा हरि सिंह को कश्मीर मुस्लिम बहुल होने से शासन छोड़ने व काशी जाकर प्रायश्चित करने का परामर्श दिया, वहीं दूसरी ओर हैदराबाद के निज़ाम के शासन का हिन्दु बहुल हैदराबाद में समर्थन किया।
 

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