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Sunday, October 14, 2012

सङी सङाई रोटी बङे मजे लेकर खाते हो

भारत में जीवन को चलाने के लिए जितनी जरूरत की चीजें होती हैं । वो हर समान हर जगह होती हैं । Indian Council for Agricultural Research ( ICAR ) के दस्तावेज के अनुसार भारत में 14 785 वस्तुएं होती हैं । ये भारत की सभी राज्यों में एकसमान होती हैं  । और भारत के उन शहरों या गाँव को बाहर से केवल नमक मंगाना पड़ता है । बाकी हर जरूरत की चीज उसी राज्य में हो जाती हैं ।
ज्यादातर लोग आज की बनी रोटी कल खाना पसंद नहीं करेंगे । कुछ तो ऐसे भी है । जो सुबह की बनी रोटी शाम को भी नहीं खाते । अब मैं अगर आपसे बोलूँ कि - आज रोटी बनाकर उसको पालिथीन में पैक कर देता हूँ । उसको 4 दिन बाद खाने को कौन राजी होगा ?
आप सोच रहे होंगे कि - क्या बेतुकी बातें कर रहा हूँ । अब जरा सोचो कि - आटे को सड़ाकर बनाई हुई ब्रेड और पाव रोटी । जो पता नहीं ? कितने दिन पहले की बनी हुई है । उसको इतना मजे लेकर क्यों खाते हो ? क्यों बर्गर और ब्रेड पकौड़ा खाते वक्त ये बातें दिमाग में नही आती हैं ? 
अगर हम ताजा रोटी खाने की परम्परा को दकियानुसी मान कर 4-5 दिन पहले बनी बासी रोटी खाने को अपनी शान समझते है । तो हम पढ़े लिखे मूर्खो के सिवा और कुछ नही हैं । यूरोप के गधों के पीछे आँख बंद कर चलने वाली भेड़ चाल को हमें छोड़ना ही होगा । यूरोप और अमेरिका में चूँकि मौसम की अनुकूलता नहीं है । साल में 9 महीने ठण्ड पड़ती है । और उनके यहाँ कभी भी बारिश हो जाती है । और बर्फ भी बहुत पड़ती है 

। धुप का दर्शन तो साल में 300 दिन होता ही नहीं है । इसके अलावा उनके कृषि क्षेत्र में कुछ होता नहीं है । कुल मिलाकर 2 ही चीजें होती हैं - आलू और प्याज । और थोडा बहुत गेंहू । यूरोप में ब्रेड खाना उनकी मज़बूरी है । वहाँ का तापमान इतना कम रहता है कि - रोटी बनाना संभव ही नही है । आटा गूँथने के लिए पानी चाहिए । लेकिन वहाँ 6 महीने तो बर्फ जमी रहती है । इसीलिए वहाँ ब्रेड बनाई जाती है । जिसमें आटा गूँथने की जरुरत नहीं होती है । आटे को सड़ाकर ब्रेड बना दी जाती है । और अत्यंत कम तापमान की वजह से वो 4-5 दिनों तक खराब नही होती है । भारतीय जलवायु के हिसाब से ब्रेड उचित नहीं है । भारतीय जलवायु में ब्रेड जैसे नमी युक्त खाद्य पदार्थ जल्दी खराब होते हैं । तापमान बहुत कम होने के कारण उनके शरीर में मैदे से बनी ब्रेड पच जाती है । पर भारत में तापमान बहुत अधिक होता है । जो भारतीयों के लिये सही नहीं । इससे कब्ज की

शिकायत होती है । और कब्ज होने से सैंकडों बीमारियां लगती है । हजारों सालों से भारत में ताजे आटे को गूंथकर ही रोटी बनाई और खाई जाती है । हमारे पूर्वज इतने तो समझदार थे । जो उन्होने ब्रेड आदि खाना शुरू नहीं किया । तो आप भी समझदार बनिये ।
यही हाल टमाटर की चटनी का है । इसीलिए सभी राष्ट्र भक्त भाई बहनों से निवेदन है कि - ब्रेड । पाव रोटी । सौस जैसी चीजों से बने खाद्य पदार्थ का पूरी तरह से बहिष्कार करें । और अन्य को भी प्रेरित करें ।
- भाई राजीव दीक्षित जी
♥♥♥♥
5 Spices That Help, Heal For better Digestion ~
1.Black Pepper 2.Cardamon 3.Coriander 4.Cumin 5.Turmeric
♥♥♥♥
पेट एवं छाती में जलन होना । अर्थात खट्टी डकारें आना । अर्थात एसिडिटी से छुटकारा पाने के निम्नलिखित बिंदुओं पर अमल करें ।

1-  4-5 गिलास गरम कुनकुना पानी ( खड़े खड़े नहीं बैठकर ) जल्दी जल्दी पियें । फिर सीधे हाथ की ऊँगलियों से जिह्वा ( जीभ ) को रगड़ रगड़ कर उल्टी वमन करें । यह क्रिया पानी पी पीकर तब तक दोहराएँ। जब तक कि वमन के पानी में खट्टापन समाप्त न हो जाये ।
2 रोजाना प्रातःकाल सोकर उठते ही शौच निवृत्ति के पूर्व बिना मंजन कुल्ला किये 1 से 4 गिलास गरम कुनकुना पानी पीना चाहिये ।
3 एरिएटेड ठंडे पेय । चाय एवं काफी से पूर्णतया परहेज रखें । इनके स्थान पर - हर्बल टी । हर्बल पेय का सेवन करें ।
4 तीखे मिर्च मसाले । सिरका । चटनी । अचार । तले भुंजे । रिफाइंड अर्थात बारीक पिसे हुये भोज्य पदार्थों के सेवन से बचें । इनके स्थान पर दरदरा भोजन । चित्तीदार केला । ककड़ी का नियमित रूप से सेवन करें ।
5 एसिडिटी से बचने के लिये नारियल पानी पीना भी अति उत्तम है ।

6 रोजाना 1 गिलास ताजे दुहे हुये अथवा ठंडे दूध का सेवन करना भी एसिडिटी में काफी लाभप्रद होता है ।
7 दिन भर में ग्रहण की जाने वाली भोजन की कुल मात्रा । जो कि दिन में 1-2 या 3 बार में ग्रहण की जाती हो । ऐसी कुल मात्रा को घटाकर आधा या तीन चौथाई करें । व साथ ही साथ इस घटी हुई मात्रा को  3-3 अथवा 4-4 घंटे के अन्तर से दिन भर में 4 से 5 बार में ।  छोटी छोटी किश्तों में ।  ग्रहण करें । रात का अंतिम भोजन हल्का सुपाच्य । व सोने के कम से कम 2-3 घंटे पूर्व कर लेना चाहिये ।

8 भोजन करने के बाद 4-5 पोदीने की पत्तियों के उबले हुये 1 गिलास पानी का सेवन करें ।
9 भोजन के बाद 1 लौंग मुँह में रखकर चूसें ।
10 गुड़ । शहद । नींबू । पानी । व रात भर के गले हुये 4-5 बादाम आदि का सेवन भी लाभप्रद होता है ।
11 तंबाखू । गुटखा । बीड़ी । सिगरेट । धूमृपान । गाँजा । भांग । शराब आदि किसी भी प्रकार का नशा एवं किसी भी प्रकार का माँसाहार । मछली । अंडे आदि का घातक सिद्ध होता है ।
12 ठोस अथवा तरल किसी भी प्रकार के भोज्य पदार्थ को अच्छी तरह चबा चबा कर ग्रहण करें । अर्थात Eat the liquids & drink the solids .
13 भोजन में जिस रूप में भी हो सके । अदरक का सेवन अवश्य करें ।
14 किसी भी प्रकार के गरिष्ठ भोजन के सेवन से बचें । तथा इनके स्थान पर हरी साक भाजी । ताजे फल व सब्जियों व हल्के सुपाच्य भोजन का सेवन करें । भोजन के साथ किसी भी

प्रकार के फल एवं शक्कर की मिठाई का सेवन न करें ।

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